तरबूज़
तरबूज़ एक गर्मी के मौसम का फल है। तरबूज़ का रंग हरा होता है। लेकिन तरबूज़ अंदर से लाल रंग का होता है। तरबूज़ पानी से भरपूर एवं मीठा फल है। तरबूज़ गर्मियों के मौसम का आकर्षक और आवश्यक फल है, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। तरबूज़ की खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है, लेकिन उत्तरी भारत में इसको अधिक महत्त्व दिया जाता है। तरबूज़ शरीर को ठंडक पहुँचाने के साथ-साथ ऊर्जा भी देता है। तरबूज़ में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी, सी और आयरन के अलावा मैग्नीशियम और पोटैशियम भी पाया जाता है। यह ख़ून साफ़ करने के साथ पथरी, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है। इसमें पानी की मात्रा 92 प्रतिशत जबकि कैलोरी की मात्रा शून्य होती है।
उत्पत्ति
तरबूज़ का जन्म स्थान अफ़्रीका है, इससे बहुत पहले यह भारत में उगने लगा। अत: इसका उत्पत्ति स्थान भारत ही माना जाता है। तरबूज़ का प्रयोग मीठा अचार बनाने में किया जाता है। दक्षिणी रूस में तरबूज़ के रस से बियर तैयार की जाती है। इसके रस को गाढ़ा बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों को भी छीलकर खाया जाता है।
जलवायु
तरबूज़ की फ़सल लम्बी अवधि वाली मानी जाती है, जिसकों उच्च तापक्रम की आवश्यकता होती है। पकने के समय तेज धूप तथा उच्च तापक्रम आवश्यक होता है। ऐसे मौसम में फलों में मिठास बढ़ जाती है। इसकी खेती के लिए निम्न तापक्रम तथा नम जलवायु अनुपयुक्त होती है।
भूमि
इसकी सफल खेती के लिए उपजाऊ हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
जातियाँ
विदेशी जातियाँ
आशाही यामेंटो, सुगर बेबी, न्यू हैम्पसाइर मिदगट, दिक्षली क्वीन, क्लेंकले क्लोन डायक।
देशी जातियाँ
स्थानीय जातियाँ- जयपुर-स्थानीय, दिल्ली-स्थानीय, फरूख़ाबादी, फैजाबादी, जौनपुर लाल, भागलपुरी।
उन्नतशील जातियाँ
इम्प्रूव्ड शियर, दुर्गापुर केसर, पूसा, वदाना अर्का ज्योति, दुर्गापुरा मीठा, सलैक्सन-1, अर्का मानिक।
इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कम्पनी द्वारा 'मधु', 'मिलन' एवं 'मोहनी' शंकर किस्में विकसित की गई हैं।
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद | 200 से 250 कुंतल प्रति हैक्टर |
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यूरिया | 175 किलोग्राम प्रतिहैक्टर (80 कि.ग्रा. नत्रजन) |
सुपर फास्फेट | 250 किलोग्राम (40 कि.ग्रा. फास्फोरस) |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश | 67 किलोग्राम (40 कि.ग्रा. पोटाश) |
उद्यान विज्ञान विशेषज्ञों द्वारा तरबूज़ के लिए निम्न खाद की मात्रा प्रस्तावित की गई है।
- गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से पहले दी जाती है।
- नत्रजन की शेष मात्रा दो बार में बढ़वार एवं फूल आने के समय दी जाती हैं।
बीज की मात्रा
4 से 4.5 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टर पर्याप्त समझा जाता है।
बोने का समय
मुख्य रूप से बुवाई जनवरी से मार्च के प्रथम सप्ताह तक की जाती है; अगर पाले से बचाव हो तो इसकी बुवाई अक्टूबर से नवम्बर में भी की जा सकती है।
निकाई-गुड़ाई
2-3 निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को बेलों के पास से निकाल दिया जाता है। गुड़ाई की क्रिया अधिक गहराई तक नहीं करनी चाहिये, नहीं तो जड़ें कटने का भय रहता है।
सिंचाई
तरबूज़ में सिंचाई प्रति सप्ताह करानी चाहिये। आवश्यकतानुसार सिंचाईयों के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है। फल पकते समय पानी कम देना चाहिये, जिससे फल अधिक मीठे एवं स्वादिष्ट हो सकें।
तोड़ाई
तरबूज़ के फल पकने की जाँच अनुभवी उत्पादक तुरन्त कर लेता है। फिर भी जानकारी के लिए जब फल के सबसे नजदीक का तंतु बिल्कुल सूख जाये तथा फल बजाने पर दब-दब की आवाज़ करने लगे, तो फल को पका समझना चाहिये।
उपज
तरबूज़ की पैदावार 250-500 कुंतल प्रति हैक्टेयर होती है।
बीज उत्पादन
तरबूज़ का सही बीज बाज़ार में उपलब्ध होना एक समस्या होती है क्योंकि इसकी बहुत सी जातियाँ पास-पास खेतों में लगी होती हैं तथा परसेचन द्वारा एक जाति का परागण दूसरी जाति से हो जाता है। बीज की अच्छी किस्म लेने के लिए फल को चख कर देखना चाहिये तथा बीजों को अधिक मीठें फलों से इकठ्ठा कर लेना चाहिये। तत्पश्चात् इन बीजों को अलग से खेतों में बोना चाहिये। यह ध्यान रहे कि कम से कम 3-4 किमी की परधि में इसकी अन्य जाति न लगाई गई हो। फिर से मीठें फलों से बीज इकठ्ठा कर लिया जाता है। एक वर्ष के चुनाव के बाद भी सभी तरबूज़ मीठें प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इस प्रकार का चुनाव अगले कुछ वर्षों तक करते रहना चाहिये, जब तक कि अधिक मात्रा में उच्च कोटि के बीज प्राप्त नहीं हो जाते।
तरबूज़ के फ़ायदे
जैसा कि कहा जाता है कि 'आम के आम और गुठलियों के भी दाम' उसी प्रकार तरबूज़ का सेवन तो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए फ़ायदेमंद होता है परंतु साथ ही इसके बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं।
- तरबूज़ आकर्षक और स्वास्थ्यवर्धक फल है। तरबूज़ खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। हमें वही फल ज़्यादा खाने चाहिए जो शरीर में पानी की आपूर्ति भी करते रहें।
- तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। इसके और भी फायदे हैं जैसे: खाना खाने के उपरांत तरबूज़ का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।
- इसके रस से लू लगने का भय भी नहीं रहता। मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है।
- पोलियो रोगियों को तरबूज़ का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह ख़ून को बढ़ाता है और उसे साफ़ भी करता है।
- त्वचा रोगों के लिए भी यह फ़ायदेमंद है, तपती धूप में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज़ के रस को आधा गिलास पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
- पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ़ में रखे हुए तरबूज़ का रस निकालकर सुबह शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- तरबूज़ के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। मस्तिष्क की कमज़ोर नसों को बल मिलता है, टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।
- तरबूज़ के बीजों की गिरी में मिश्री, सौंफ, बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है।
- बीजों को चबा-चबाकर चूसने से दाँतों के पायरिया रोग में लाभ होता है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
- प्रतिदिन तरबूज़ का रस पीने से शरीर को शीतलता मिलती है। तरबूज़ खाने से प्यास लगना कम होता है।
- तरबूज़ के रस का सेवन करने से लू लगने का ख़तरा कम हो रहता है। तरबूज़ में वसा नहीं पाया जाता इसलिए इससे वजन नहीं बढ़ता।
- सिरदर्द होने पर आधा गिलास तरबूज़ के रस में मिश्री मिलाकर पीने से आराम मिलेगा। तरबूज़ दिल की बीमारियों को होने से रोकता है।
- तरबूज़ की फांक पर काला नमक व काली मिर्च डालकर खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
- ख़ून की कमी होने पर तरबूज़ खाना फ़ायदेमंद होता है। तरबूज़ पीलिया जैसी बीमारी में खाना काफ़ी फ़ायदेमंद होता है, तथा सूखी खांसी में तरबूज़ खाने से खांसी आनी बंद हो जाती है।
- तरबूज़ में लाइकोपिन पाया जाता है। लाइकोपिन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है। ये हमारे शरीर में कैंसर को होने से भी रोकता है।
- विटामिन सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मज़बूत बनाता है, और विटामिन ए हमारे आँखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
- तरबूज़ मोटापे को कम करने में भी बहुत सहायक होता है।
- जो लोग काम के तनाव में अधिक रहते हैं उनके लिए तरबूज़ बहुत फ़ायदेमंद होता है। तरबूज़ खाने से दिमाग शांत और खुश रहता है। जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है तरबूज़ खाने से उनको अपना गुस्सा शांत करने में बहुत मदद मिलती है।
तरबूज़ से होने वाले नुक़सान
- तरबूज़ खाकर तुरंत पानी या दूध-दही या बाज़ार के पेय नहीं पीने चाहिए।
- तरबूज़ खाने के 2 घंटे पूर्व तथा 3 घंटे बाद तक चावल का सेवन न करें।
- गर्म या कटा बासी तरबूज़ सेवन न करें। इससे कई बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है।
- दमा के मरीज़ों को तरबूज़ का रस नहीं पीना चाहिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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