पुरातत्वीय संग्रहालय, हम्पी

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पुरातत्वीय संग्रहालय, हम्पी
पुरातत्वीय संग्रहालय, हम्पी
पुरातत्वीय संग्रहालय, हम्पी
विवरण ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा खंडहरों के विभिन्‍न स्‍थानों से मूर्ति वास्‍तुशिल्‍प घटकों का संग्रह तैयार किया गया और आरंभ में इन्‍हें हाथीशाला में रखा गया था।
राज्य कर्नाटक
नगर हम्पी
स्थापना भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने अपना पहला संग्रहालय यहां स्‍थापित किया था। 1972 में इन पुरावशेषों को कमलापुर स्‍थित मौजूदा आधुनिक भवन में अंतरित किया गया था।
गूगल मानचित्र
खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक
अवकाश शुक्रवार
अन्य जानकारी संग्रहालय में प्रागैतिहासिक एवं आद्य ऐतिहासिक पुरावशेष, दूसरी शताब्‍दी ईसवी के व्‍याख्‍यान करते चूना प्रस्‍तर के बौद्ध पैनल, बारहवीं शताब्‍दी ईसवी के उत्‍कृष्‍ट स्‍तरित प्रस्‍तर पुरावशेष, पार्श्‍वनाथ चैत्‍याला के तपस्‍वी जैन तीर्थंकर, विजयनगर काल की ललित शैव तथा वैष्‍णव मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।
अद्यतन‎

पुरातत्वीय संग्रहालय, हम्पी कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में स्थित है। इसे कमलापुरम संग्रहालय भी कहा जाता है। ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा खंडहरों के विभिन्‍न स्‍थानों से मूर्ति वास्‍तुशिल्‍प घटकों का संग्रह तैयार किया गया और आरंभ में इन्‍हें हाथीशाला में रखा गया था। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने अपना पहला संग्रहालय यहां स्‍थापित किया था। 1972 में इन पुरावशेषों को कमलापुरम स्‍थित मौजूदा आधुनिक भवन में अंतरित किया गया था। इस समय संग्रहालय में चार गैलरियां हैं जो इसके चारों ओर हम्‍पी घाटी का मॉडल प्रस्‍तुत करती है।

विशेषताएँ

  • इस संग्रहालय के प्रदर्श नानारूपों में हैं जिसमें विजयनगर राजवंश सुविख्‍यात शासक कृष्णदेव राय और प्रवेश द्वार आगन्‍तुकों से मिलती हुई उनकी रानियों की ललित प्रतिकृतियां शामिल हैं।
  • पहली गैलरी के प्रदर्शों में वीरभद्र, भैरव, भिक्षातनमूर्ति, महिषासुरमर्दिनी, शक्‍ति, गणेश, कार्तिकेय एवं उनकी पत्‍नियों तथा दुर्गा की शैव मत वाली मूर्तियां हैं।
  • केन्‍द्रीय हाल में शिवलिंग, नंदी, सामने शाही जोड़े वाला द्वारमंतप के प्रदर्श सहित मन्‍दिरनुमा दृश्‍य रचना है।
  • दूसरी गैलरी के प्रदर्शों में अस्‍त्र और शस्‍त्र, तांबे के अनुदान फलक, धार्मिक उपयोग की धातु की वस्‍तुएं तथा पीतल के फलक जैसे वर्गीकृत पुरावशेष हैं। इन प्रदर्शों में विजयनगर राजवंश के दोनों सोने तथा तांबे के विभिन्‍न नामों के सिक्‍के हैं।
  • चौथी गैलरी में प्रागैतिहासिक एवं आद्य ऐतिहासिक काल, मध्‍यकालीन नायक प्रस्‍तरों तथा सती प्रस्‍तरों से संबंधित पुरावशेष हैं।
  • उत्खनन से प्राप्‍त स्‍टूको मृण्‍मूर्तियां, लौह वस्‍तुएं, चीनी मिट्टी के ठीकरे भी प्रदर्शित किए गए हैं।
  • इस गैलरी में मुख्‍य रूप से सर्वेक्षण द्वारा 1976 से 1996 तक किले में किए गए पुरातत्‍वीय उत्‍खनन के चुनिंदा डाया-पोजिटिव के प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं।
  • इसी गैलरी में पर्यटकों को विश्‍वदाय स्‍थल से सुपरिचित कराने के लिए सूचना कियोस्‍क भी स्‍थापित किया गया है।

ट्रेजरी भवन में मूर्ति गैलरी

संग्रहालय में प्रागैतिहासिक एवं आद्य ऐतिहासिक पुरावशेष, दूसरी शताब्‍दी ईसवी के व्‍याख्‍यान करते चूना प्रस्‍तर के बौद्ध पैनल, बारहवीं शताब्‍दी ईसवी के उत्‍कृष्‍ट स्‍तरित प्रस्‍तर पुरावशेष, पार्श्‍वनाथ चैत्‍याला के तपस्‍वी जैन तीर्थंकर, विजयनगर काल की ललित शैव तथा वैष्‍णव मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं। यहां वीर हरिहरा महल के समीप की देवी भुवनेश्‍वरी की मूर्ति आरंभिक विजयनगर काल की मूर्तियों में एक है। महल से संबंधित स्‍तम्‍भ अभिलेख, शानदार चीनी मिट्टी के मृण्‍पात्र वाले रोजमर्रा के उपयोगी मृदभांड, धातु की वस्‍तुएं, छोटी-छोटी मृण्‍मूर्तियां तथा कुछ चुनिंदा स्‍टूको आकृतियां भी प्रदर्शों में शामिल हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय-हम्पी (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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