बाग़ उमराव दूल्हा स्तम्भ
बाग़ उमराव दूल्हा स्तम्भ एक पाषाण स्तम्भ है, जो भोपाल के बरखेड़ी क्षेत्र में बाग़ उमराव दूल्हा में सड़क के बीचों बीच चबूतरे पर विद्यमान है। यह स्तंभ वर्ष 1880 में शाहजहां बेगम द्वारा किसी स्थल से लाकर यहाँ स्थापित किया था। स्तंभ 20 फीट लम्बा है, जिसके शीर्ष पर उल्टे कमल पुष्प का अंकन है।
इस स्तम्भ के शीर्ष के चारों ओर लोहे के हुक लगे हैं, जो परवर्ती काल में इस स्तंभ को लैम्प पोस्ट के रूप में उपयोग में लाये जाने को इंगित करते हैं। स्तंभ का ढाई फीट अधोभाग खुरदुरा है, इसके ऊपर के भाग में ओपदार पॉलिश है, जिसके कारण कतिपय विद्वान इसे मौर्ययुगीन मानते हैं। वस्तुत: स्तंभ गुप्त काल का है, इसके मध्य भाग में शंख लिपि का लेख है। यह 4-5वीं शती. ई. का स्तंभ नगर के समीपवर्ती किसी मंदिर के सम्मुख स्थापित रहा होगा। वस्तुतः स्तम्भ गुप्त काल का है, क्योंकि उपरोक्त स्तम्भ में अशोक के काल के निर्मित स्तम्भों की समानता मिलती है, जैसे कि स्तंभ सादा नुकीला एवं चिकना है। लता पुष्प आदि से विभक्त एवं अंलकृत है। स्तम्भ का शीर्ष भाग टूट गया है, जिस पर सिंह, घोड़ा अथवा हाथी अथवा वृषभ आदि में से कोई एक मूर्ति रही होगी।[1]
स्तम्भ का निर्माण एक ही पत्थर से किया गया है और पाषाण पर जो लेप किया गया है, वह इस प्रकार से किया गया है कि स्तम्भ धातु निर्मित सा आज भी लगता है। स्तम्भ चौथी-पांचवी शताब्दी का गुप्तकालीन है। वर्तमान में स्तम्भ सड़क के बीचों बीच चौराहे पर स्थित होने के कारण जिस चबूतरे पर बना है, उस पर आम लोग बैठने के लिये उपयोग करते हैं।
बाग़ उमराव दूल्हा क्षेत्र भोपाल नबाबी दौर में दस बारह एकड़ में फैला हुआ एक उन्नत और समृद्ध बाग़ था, जिसमें नबाब परिवार के सदस्यों के रहने के लिये बारादरी (बारह दरवाजों के मकान) एक से अधिक संख्या में स्थित थे। उपरोक्त स्तम्भ बारादरी के बीच में स्थापित किया गया था। स्तम्भ के पास स्नानगार संगमरमर के बने हुये थे, जो कि मुग़लवास्तु कला के सुन्दर नमूने थे। स्नानगार सन् 1950-1951 तक बना हुआ था। वर्तमान में नष्ट हो गया है। स्तम्भ का उपयोग प्रकाश स्तम्भ के रूप में बारादरी के पास स्थित स्नानागार में प्रकाश के लिये किया जाता था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अशोक स्तम्भ ,भोपाल बाग उमराव दूल्हा स्तम्भ भोपाल (हिंदी) yogeshmp.blogspot.com। अभिगमन तिथि: 10 जून, 2018।