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* मतांतर से ये त्वष्टाको पुत्री थीं। इनका प्रारम्भिक नाम प्रभा था। इनका एक अन्य नाम संज्ञा भी है। ये [[सूर्य देवता|सूर्य]] की पत्नी थीं तथा इनकी दो संतान [[यमराज|यम]] और [[यमुना]] थे। एक बार सूर्य का तेज सहन करने में असमर्थ होकर ये अपनी छाया तथा संतति को त्यागकर अश्विनी का रूप धारण कर तप करने लगी। तभी से इनका नाम अश्विनी पड़ा।  
 
* मतांतर से ये त्वष्टाको पुत्री थीं। इनका प्रारम्भिक नाम प्रभा था। इनका एक अन्य नाम संज्ञा भी है। ये [[सूर्य देवता|सूर्य]] की पत्नी थीं तथा इनकी दो संतान [[यमराज|यम]] और [[यमुना]] थे। एक बार सूर्य का तेज सहन करने में असमर्थ होकर ये अपनी छाया तथा संतति को त्यागकर अश्विनी का रूप धारण कर तप करने लगी। तभी से इनका नाम अश्विनी पड़ा।  

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Disamb2.jpg अश्विनी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अश्विनी (बहुविकल्पी)

अश्विनी प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। इनका विवाह चन्द्रमा के साथ सम्पन्न हुआ था।

  • मतांतर से ये त्वष्टाको पुत्री थीं। इनका प्रारम्भिक नाम प्रभा था। इनका एक अन्य नाम संज्ञा भी है। ये सूर्य की पत्नी थीं तथा इनकी दो संतान यम और यमुना थे। एक बार सूर्य का तेज सहन करने में असमर्थ होकर ये अपनी छाया तथा संतति को त्यागकर अश्विनी का रूप धारण कर तप करने लगी। तभी से इनका नाम अश्विनी पड़ा।
  • प्रभा की छाया में भी सूर्य को दो संतान हुए- शनि और ताप्ती। अपनी संतति पाकर छाया प्रभा के पुत्रों के अनादर करने लगीं। इस प्रकार प्रभा के भागने की बात सूर्य को ज्ञात हुई। सूर्य इस रहस्य को जानकर अश्व रूप में अश्विनी के पास गये जिससे अश्विनीकुमार उत्पन्न हुए।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी साहित्य कोश भाग-2 | सम्पादक- धीरेंद्र वर्मा (प्रधान) | प्रकाशन- ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी | पृष्ठ संख्या- 28

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