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'''आहुक''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार यादव वंश के [[उग्रसेन|राजा उग्रसेन]] के पिता थे, तथा इनकी आठ कन्या थीं। राजा आहुक के पास दस हज़ार ऐसे रथ रहते थे, जिनमें सुदृढ़ उपासंग (कूबर) एवं अनुकर्ष (धूरे) लगे रहते थे, जिन पर ध्वजाएँ फहराती रहती थीं, जो कवच से सुसज्जित रहते थे तथा जिनसे मेघ की घरघराहट के सदृश शब्द निकलते थे।
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'''आहुक''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार [[यदु वंश|यादव वंश]] के [[उग्रसेन|राजा उग्रसेन]] के पिता थे। इनकी आठ कन्याएँ थीं। राजा आहुक के पास दस हज़ार ऐसे रथ रहते थे, जिनमें सुदृढ़ 'उपासंग' (कूबर) एवं 'अनुकर्ष' (धूरे) लगे रहते थे। इन रथों पर ध्वजाएँ फहराती रहती थीं। सभी रथ कवच से सुसज्जित रहते थे तथा जिनसे मेघ की घरघराहट के सदृश शब्द निकलते थे।
  
 
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13:58, 6 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

आहुक हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार यादव वंश के राजा उग्रसेन के पिता थे। इनकी आठ कन्याएँ थीं। राजा आहुक के पास दस हज़ार ऐसे रथ रहते थे, जिनमें सुदृढ़ 'उपासंग' (कूबर) एवं 'अनुकर्ष' (धूरे) लगे रहते थे। इन रथों पर ध्वजाएँ फहराती रहती थीं। सभी रथ कवच से सुसज्जित रहते थे तथा जिनसे मेघ की घरघराहट के सदृश शब्द निकलते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 20 |


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