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*समुद्रव्रत में [[लवण]], [[दूध]], [[घी]], [[दघिमण्ड]], [[जल]] मिश्रित [[मदिरा]], [[गन्ना]] के रस एवं मीठे [[दही]] से पूजा करनी चाहिए।
 
*समुद्रव्रत में [[लवण]], [[दूध]], [[घी]], [[दघिमण्ड]], [[जल]] मिश्रित [[मदिरा]], [[गन्ना]] के रस एवं मीठे [[दही]] से पूजा करनी चाहिए।
 
*रात्रि में हविष्य भोजन करना चाहिए।
 
*रात्रि में हविष्य भोजन करना चाहिए।
*घी से होम; एक वर्ष तक करना चाहिए।
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*घी से होम करन चाहिए।
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*समुद्र व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
 
*अन्त में एक दुधारू [[गाय]] का दान करना चाहिए।
 
*अन्त में एक दुधारू [[गाय]] का दान करना चाहिए।
 
*राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।
 
*राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 464-465, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|160|1-7 से उद्धरण)
  2. (वायु पुराण 49|123)
  3. (कूर्मपुराण 1|45|4)

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