तीर्थ (मौर्यकालीन पद)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 7 मार्च 2021 का अवतरण (''''तीर्थ''' मौर्य साम्राज्य की शासन व्यवस्था में उच्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

तीर्थ मौर्य साम्राज्य की शासन व्यवस्था में उच्च स्तर के अधिकारियों का पद था।

  • मौर्य साम्राज्य में शासन कार्य का भार मुख्यतः एक विशाल वर्ग पर था, जो साम्राज्य के विभिन्न भागों से शासन का संचालन करते थे। 'अर्थशास्त्र' में सबसे ऊँचे स्तर के कर्मचारियों को 'तीर्थ' कहा गया है। ऐसे अठारह तीर्थों का उल्लेख है, इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण पदाधिकारी थे- मंत्री, पुरोहित, सेनापति, युवराज, समाहर्ता, सन्निधाता तथा मंत्रिपरिषदाध्यक्ष।
  • तीर्थ शब्द एक-दो स्थानों पर प्रयुक्त हुआ है। अधिकतर स्थलों पर इन्हें 'महामात्र' या 'महामात्य' की संज्ञा दी गई है।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थ या महामात्र मंत्री और पुरोहित थे। राजा इन्हीं के परामर्श से अन्य मंत्रियों तथा अमात्यों की नियुक्ति करता था।

इन्हें भी देखें: मौर्यकालीन भारत, मौर्य काल का शासन प्रबंध, मौर्ययुगीन पुरातात्विक संस्कृति एवं मौर्यकालीन कला


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख