भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:56, 5 सितम्बर 2015 का अवतरण (''''अभय चरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद''' (अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

अभय चरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद (अंग्रेज़ी: Abhay Charanaravinda Bhaktivedanta Swami Prabhupada ; जन्म- 1 सितम्बर, 1896, कोलकाता, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 14 नवम्बर, 1977, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश) प्रसिद्ध गौड़ीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। वेदान्त, कृष्ण भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर आपने विचार रखे और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का कार्य किया। ये भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे, जिन्होंने इनको अंग्रेज़ी के माध्यम से वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए प्रेरित और उत्साहित किया। स्वामी प्रभुपाद ने "इस्कॉन" (ISKCON) को स्थापित किया और कई वैष्णव धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन और संपादन किया।

परिचय

स्वामी प्रभुपाद का जन्म 1896 ईं. में भारत के कोलकाता नगर में हुआ था। इनके बचपन का नाम अभय चरण था। पिता का नाम गौर मोहन डे और माता का नाम रजनी था। इनके पिता एक कपड़ा व्यापारी थे। उनका घर उत्तरी कोलकाता में 151, हैरिसन मार्ग पर स्थित था। गौर मोहन डे ने अपने बेटे अभय चरण का पालन पोषण एक कृष्ण भक्त के रूप में किया। अभय चरण ने 1922 में अपने गुरु महाराज श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी से भेंट की। इसके ग्यारह वर्ष बाद 1933 में वे प्रयाग में उनके विधिवत दीक्षा प्राप्त शिष्य हो गए।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भक्ति वेदान्त स्वामी श्रील प्रभुपाद (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 05 सितम्बर, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख