अंगहीन पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवताओं में मान्य कामदेव का एक नाम है।[1] भगवान शंकर द्वारा भस्म कर देने के पश्चात् शरीर का विनाश हो जाने के कारण ही उनका यह नाम पड़ा था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 02 |
- ↑ ब्रह्मपुराण कामदेव दाह।