अग्निवेष्य अथवा 'अग्निवेश्य' देवदत्त के पुत्र थे। ये एक प्रचीन ऋषि थे, जो अग्नि के अवतार कहे गये हैं।[1]
- ये आयुर्वेद के ज्ञाता थे और इसके आचार्य माने जाते है।
- अग्निवेष्य को 'कानीन' या 'जातुकर्ण्य' भी कहते हैं।
- यह अग्निवेश्यायन के ब्राह्मण कुल के प्रवर्तक कहे गये है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी-221001 |पृष्ठ संख्या: 11 |
- ↑ भागवतपुराण 9.2.21-22, ब्रह्मांडपुराण 3.47.49