लौकी (अंग्रेज़ी:Calabash) भारत की एक प्रमुख सब्ज़ी है। लौकी का वानस्पतिक नाम लेजीनेरिया सिसेरेरिया (Lagenaria siceraria) है। लौकी को लउका, कद्दू या घीया भी कहा जाता है। लौकी ग्रीष्म ऋतु (जनवरी - मार्च) और वर्षा ऋतु (जून - जुलाई) में बाज़ार में मिलती है। लौकी को सब्जी के अलावा रायता, हलवा और विविध प्रकार की मिठाईयाँ बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसको विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है, किन्तु उचित जल धारण क्षमता वाली जीवांशयुक्त हल्की दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है।[1] आकार के अनुसार लौकी की गोल व लम्बी दो प्रमुख किस्में होती है।[2]
रंग और स्वरूप
- लम्बी लौकी:- लम्बी लौकी हरे रंग की होती है। लम्बी लौकी का आकार बोतल की तरह होने के कारण इसे अंग्रेज़ी में बोटल गार्ड कहते हैं।
- गोल लौकी:- गोल लौकी हरे और पीले रंग की होती है। गोल लौकी की बेल चलती हैं। गोल लौकी का फूल सफ़ेद और पत्ते बड़े-बड़े होते हैं। गोल लौकी की सब्जी भी बनाई जाती है।[3] यह बहुत ही प्रसिद्ध है।
उत्पत्ति
लौकी का उत्पत्ति स्थान अफ्रीका माना जाता है। लौकी से मानव भोजन का नाता बहुत पुराना है। मेक्सिको की गुफाओं (ईसा से 7000 से 5500 वर्ष पूर्व) व मिश्र के पुराने पिरामिडो (ईसा से 3500 से 3300 वर्ष पूर्व) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने की सबूत दोहराती है।
भारत में मालावार तट और देहरादून के नम जंगलो से यह आज भी जंगली रूप में पाया जाता है।[4]
लौकी के फ़ायदे
- लौकी ख़ून को गाढ़ा करती है।
- लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है।
- यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है।
- लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
- मोटापा कम करने के लिए इसका रस प्रयोग किया जाता है।
- लौकी का हलवा बहुत ही धातु पुष्टकारक होता है।
- लौकी दिल के लिए लाभकारी तथा पित्त और कफ को समाप्त करने वाली वीर्य को बढ़ाने वाली तथा उत्तम करने वाली होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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