पुरातत्वीय संग्रहालय, चंद्रगिरि

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पुरातत्वीय संग्रहालय, चंद्रगिरि
पुरातत्वीय संग्रहालय, चंद्रगिरि
पुरातत्वीय संग्रहालय, चंद्रगिरि
विवरण क़िले के अंदर राजा महल में स्‍थापित संग्रहालय में गुडीमल्‍लम, ज़िला चित्तूर, गंडीकोटा, ज़िला कुडुप्‍पा और यगन्‍ति, ज़िला कुर्नूल जैसे अन्‍य ऐतिहासिक स्‍थानों से लाई गई पत्‍थर और धातु की प्रतिमाएं तथा अन्‍य सांस्‍कृतिक अवशेषों का समृद्ध संग्रह प्रदर्शित है।
राज्य मध्य प्रदेश
नगर चंद्रगिरि
स्थापना 1988-89 ई.
मार्ग स्थिति चंद्रगिरि बालाजी के नाम से लोकप्रिय प्रसिद्ध हिन्‍दू तीर्थस्‍थान तिरूपति से 14 कि.मी. दक्षिण में स्‍थित है। तिरूपति विमान (रेनीगुंटा हवाई अड्डा) और रेल दोनों मार्गों से अच्‍छी तरह जुड़ा है।
गूगल मानचित्र
खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक
अवकाश शुक्रवार
अन्य जानकारी संग्रहालय में शैव, वैष्णव और जैन आस्‍थाओं की पत्‍थर और धातु की अनेक प्रतिमाएं मौजूद हैं। गुगीमल्‍ल्‍म के परशुरामेश्‍वर मंदिर से लाई गई सवेदिक शिवलिंग (दूसरी शताब्‍दी ई.पू.) की प्रतिकृति भी प्रदर्शित की गई है जिसके अग्रभाग पर बलशाली रूद्र का उभारदार चित्र बना है।
अद्यतन‎

पुरातत्वीय संग्रहालय, चंद्रगिरि आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में स्थित है। चंद्रगिरि बालाजी के नाम से लोकप्रिय प्रसिद्ध हिन्‍दू तीर्थस्‍थान तिरूपति से 14 कि.मी. दक्षिण में स्‍थित है। तिरूपति विमान (रेनीगुंटा हवाई अड्डा) और रेल दोनों मार्गों से अच्‍छी तरह जुड़ा है। तिरूपति और चंद्रगिरि के बीच नियमित रूप से सरकारी और निजी बसें चलती हैं। चांद के पर्वत का सूचक चंद्रगिरि पारंपरिक रूप से चंद्र देवता से जुड़ा है जिन्‍होंने भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए इस स्‍थान पर तपस्‍या की थी। उपजाऊ हरे-भरे मैदानों और छोटी पहाड़ियों से भरे-पूरे इस सुंदर स्‍थान को मध्‍यकालीन समय में महत्‍व प्राप्‍त हुआ। इसमें क़िले के प्रवेश द्वार पर संरक्षक देवताओं के रूप में राज राजेश्‍वरी, वेणुगोपाल, कार्तिकेय, शिव और हनुमान के मंदिरों जैसी अनेक धार्मिक संरचनाएं हैं। इसमें शिखर पर और पहाड़ी के पादस्‍थल पर अच्‍छी तरह निर्मित किलेबन्‍दी के अलावा कई तालाब, टंकियां, प्रतिमाएं और मंडप मौजूद हैं।

विशेषताएँ

  • क़िले के अंदर राजा महल में वर्ष 1988-89 में स्‍थापित संग्रहालय में गुडीमल्‍लम, ज़िला चित्तूर, गंडीकोटा, ज़िला कुडुप्‍पा और यगन्‍ति, ज़िला कुर्नूल जैसे अन्‍य ऐतिहासिक स्‍थानों से लाई गई पत्‍थर और धातु की प्रतिमाएं तथा अन्‍य सांस्‍कृतिक अवशेषों का समृद्ध संग्रह प्रदर्शित है।
  • संग्रहालय में शैव, वैष्णव और जैन आस्‍थाओं की पत्‍थर और धातु की अनेक प्रतिमाएं मौजूद हैं। गुगीमल्‍ल्‍म के परशुरामेश्‍वर मंदिर से लाई गई सवेदिक शिवलिंग (दूसरी शताब्‍दी ई.पू.) की प्रतिकृति भी प्रदर्शित की गई है जिसके अग्रभाग पर बलशाली रूद्र का उभारदार चित्र बना है। उक्‍त मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के आसपास किए गए उत्‍खननों से प्राप्‍त की गई अन्‍य कलावस्‍तुएं भी प्रदर्शित हैं।
  • परवर्ती चोल, विजयनगर और विजयनगर के बाद की अवधियों की उत्‍कृष्‍ट कांस्‍य प्रतिमाओं, जैसे उमा-महेश्‍वर, वेणुगोपाल श्रीनिवास के रूप में विष्‍णु, कोडंडरामा और देवियां जैसे श्रीदेवी, भूदेवी और पार्वती अपनी-अपनी अवधियों के धातु शिल्‍पकारों द्वारा प्राप्‍त की गई उच्‍च दक्षता की गाथा कहती हैं। सुसज्‍जित कांस्‍य थालियां, लैम्‍प तथा अन्‍य छोटी वस्‍तुएं भी इसी दीर्घा में प्रदर्शित हैं।
  • राजा महल के नाम को सार्थक करते हुए दरबार भवन दीर्घा में महान् शासकों के प्रति भव्‍य श्रद्धांजलि के रूप में विजयनगर के शासकों जैसे कृष्‍णदेव राय और उनकी पत्‍नियों चिन्‍नादेवी और तिरूमलादेवी की, अपनी-अपनी रानियों के साथ वेंकटपतिराय और श्रीरंगराय की धातु और पत्‍थर की मूर्तियों के मानव आकार वाली अनेक प्रतिकृतियां प्रदर्शित है।
  • एक दीर्घा में तलवारों और छुरों जैसे मध्‍ययुगीन हथियार, सिक्‍कों और कागजी दस्‍तावेजों को प्रदर्शित किया गया है। गुडीमल्‍लम स्‍थित प्रसिद्ध परशुरामेश्‍वर मंदिर तथा किलेबंदी और इसमें स्‍थित संरचनाओं के आसपास के वातावरण समेत चंद्रगिरि की सुंदर घाटी के मान-प्रतिरूप भी प्रदर्शित हैं। [1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय-चंद्रगिरि (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 6 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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