जन्‍मभूमि -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

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जन्‍मभूमि -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
अयोध्यासिंह उपाध्याय
अयोध्यासिंह उपाध्याय
कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म 15 अप्रैल, 1865
जन्म स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 16 मार्च, 1947
मृत्यु स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास', 'पारिजात', 'हरिऔध सतसई'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचनाएँ

सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान।
जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन॥

प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल।
नहीं जन्म भर हम सके जन्मभूमि को भूल॥

पग सेवा है जननि की जनजीवन का सार।
मिले राजपद भी रहे जन्मभूमि रज प्यार॥

आजीवन उसको गिनें सकल अवनि सिंह मौर।
जन्मभूमि जल जात के बने रहे जन भौंर॥

कौन नहीं है पूजता कर गौरव गुण गान।
जननी जननी जनक की जन्मभूमि को जान॥

उपजाती है फूल फल जन्मभूमि की खेह।
सुख संचन रत छवि सदन ये कंचन सी देह॥

उसके हित में ही लगे हैं जिससे वह जात।
जन्म सफल हो वार कर जन्मभूमि पर गात॥

योगी बन उसके लिये हम साधे सब योग।
सब भोगों से हैं भले जन्मभूमि के भोग॥

फलद कल्पतरू-तुल्य हैं सारे विटप बबूल।
हरि-पद-रज सी पूत है जन्म धरा की धूल॥

जन्मभूमि में हैं सकल सुख सुषमा समवेत।
अनुपम रत्न समेत हैं मानव रत्न निकेत॥


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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