टेबल टेनिस

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टेबल टेनिस

टेबल टेनिस को पिंग पोंग भी कहा जाता है। टेबल टेनिस को कमरों के भीतर खेलने के लिए बनाया गया था। सबसे पहले टेबल टेनिस की शुरुआत इंग्लैंड में हुई। सन् 1922 में इंग्लैंड में टेबल टेनिस ऐसोसिएशन बना तथा प्रथम विश्वप्रतियोगिता लंदन में हुई। अब यह खेल अत्यंत लोकप्रिय हो चुका है और संसार के 71 देशों में खेला जाता है।

खेल के नियम

टेबल टेनिस एक समय में दो (एकल) या चार (युगल) खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक खिलाड़ी एक बल्ला (बैट) लेता है तथा एक गेंद आवश्यक है। खेल का क्षेत्र एक लकड़ी की सतह का टेबल होता है। पैरों में रबर के जूते तथा रंगीन कपड़े (किसी भी गहरे रंग के) पहनना अनिवार्य है।

टेबल की लंबाई 9 फुट, चौड़ाई 5 फुट, सतह की मोटाई 1 इंच (या 3/4 इंच भी) तथा भूमि से ऊँचाई 2.5 फुट होती है। लकड़ी के अलावा स्लेट, काँच या प्लास्टिक की सतह के टेबल भी बनाए जाते हैं। टेबल की सतह पर 12 फुट ऊपर से सीधी गिराई गई गेंद को टिप्पा लेकर 8 से 9 फुट के बीच तक उछलना चाहिए। टेबल के ऊपर बिजली के प्रकाश का उचित प्रबंध रहता है ताकि रात्रि में भी खेल हो सके।

टेबल के चारों ओर 3/4 इंच मोटी सफेद लाइन (रेखा) और लंबाई में बीच से 1/8 इंच चौड़ी रेखा (केवल युगल खेल के लिए) बनी रहती है। टेबल के बीच चौड़ाई में आर पार, 6 इंच ऊँचा जाल तना रहता है, जो टेबल की चौड़ाई के बाहर दोनों ओर छह इंच तक बाहर निकला रहता है।

सैल्यूलाइड की गोल सफेद गेंद, जिसकी परिधि 41/2 से 4 3/4 इंच के बीच और जिसका भार 2.40 से 2.53 ग्राम के बीच हो, खेल के लिए चुनी जाती है।

मेज़

स्मरणीय तथ्य
मेज़ का आकार आयताकार
लम्बाई 274 सैंटीमीटर
चौड़ाई 152.5 सैंटीमीटर
फर्श से ऊँचाई 76
जाल की लम्बाई 183
खेलने वाले तल से जाल की ऊँचाई 15.25
गेंद की परिधि 37.2 मिलीमीटर से 38.2 मिलीमीटर
गेंद का वज़न 2.40 ग्राम से 2.53 ग्राम तक
गेंद जिस चीज़ का बना हो सैल्यूलाइड या सफेद प्लास्टिक का

मेज़ आयताकार होती है। इसकी लम्बाई 274 सैंटीमीटर तथा चौड़ाई 152.5 सैंटीमीटर होती है। इसकी ऊपरी सतह फर्श से 76 सैंटीमीटर ऊँची होगी। मेज़ किसी भी पदार्थ से निर्मित हो सकती है, परंतु उसके धरातल पर 30.5 सैंटीमीटर की ऊँचाई से कोई प्रामणिक गेंद फैंकने पर एक सार टप्पा खाएगी जो 22 सैंटीमीटर से कम तथा 25 सैंटीमीटर से अधिक ऊँचा नहीं होना चाहिए। मेज़ के ऊपर धरातल को क्राड़ा तल कहते है। यह गहरे हल्के रंग का होगा। इसके प्रत्येक किनारे पर 2 सैंटीमीटर चौड़ी श्वेत रेखा होगी। 152. 25 सैंटीमीटर के किनारे वाली रेखाएँ अंत रेखाएँ तथा 274 सैंटीमीटर किनारे की रेखाएँ पार्श्व (साइड) रेखाएँ कहलाती हैं। युगल खेल में मेज़ की सतह 3 मिलीमीटर चौड़ी सफेद रेखा द्वारा दो भागों में विभक्त होती है जो साइड रेखा के समांतर तथा प्रत्येक के समान दूरी पर होती है। इसे केन्द्र रेखा कहते हैं।

जाल

जाल की लम्बाई 183 सैंटीमीटर होती है। इसका ऊपरी भाग क्रीड़ा- तल से 15.25 सैंटीमीटर ऊँचा होता है। यह रस्सी द्वारा 15.25 सैंटीमीटर 15.25 सैंटीमीटर से बाहर की ओर होती है।

गेंद

गेंद गोलाकार होती है। यह सैल्यूलाइड अथवा प्लास्टिक की सफ़ेद पीली परंतु प्रतिबिम्बहीन होती है। इसका व्यास 37.2 मिलीलीटर से कम तथा 38. 2 मिलीमीटर से अधिक नहीं होता। इसका भार 2.40 ग्राम से कम तथा 2.53 ग्राम से अधिक नहीं होता।

रैकेट

रैकेट किसी भी आकार या भार का हो सकता है। इसका तल गहरे रंग का होना चाहिए।

  • एकल खेल में सर्विस करने वाला (सर्वर) लगातार पाँच सर्विसें करता है। चाहे उसका अंक बने या न बने। उसके पश्चात् सर्विस दूसरे खिलाड़ी को मिलती है। इस तरह उसको भी पाँच सर्विस करने के बाद सर्विस में तबदीली होती है।
रैकेट, जाल, गेंद (टेबल टेनिस)
  • युगल खेल में सर्वर सर्विस करता है तथा रिसीवरी अच्छी वापिसी करेगा। सर्वर का साथी फिर बढ़िया वापिसी करेगा और बारी-बारी प्रत्येक खिलाड़ी उसी क्रम से बढ़िया वापिसी करेंगे।

उत्कृष्ट सर्विस

  • सर्विस में गेंद का सम्पर्क करता हुआ मुक्त हाथ खुला, अंगुलियाँ जुड़ी हुई तथा अंगूठा मुक्त रहेगा और क्रीड़ा - तल के लेवल के द्वारा सर्वरा गेंद को ला कर हवा में इस प्रकार सर्विस शुरू करेगा कि गेंद हर समय निर्णायक को नज़र आए।
  • गेंद फिर इस प्रकार प्रहारित होगी कि सर्वप्रथम सर्वर का स्पर्श करके सीधे जाल के ऊपर या आस-पास पार करती हुई पुनः प्रहार के क्षेत्र का स्पर्श कर ले।
  • खेल में गेंद पहले सर्वर या दायां अर्द्धक या उसके जाल की ओर की केन्द्र रेखा स्पर्श करके जाल के आस-पास या सीधे ऊपर से गुज़र कर प्रहारक के दायें अर्द्धक या उसके जाल की ओर केन्द्र रेखा का स्पर्श करे।

उष्कृष्ट वापसी

सर्विस या निवर्तन की हुई गेंद खिलाड़ी द्वारा इस प्रकार प्रहारित की जाएगी कि सीधे जाल को पार करके या चारों ओर पार करके विरोधी के क्षेत्र को स्पर्श कर ले। गेंद खेल में सर्विस में हाथ द्वारा आगे को बढ़ाने के क्षण से गेंद खेल में मानी जाएगी जब तक कि-

  1. गेंद एक क्षेत्र में दो बार स्पर्श नहीं कर लेती।
  2. वह किसी खिलाड़ी को या उसके वस्त्र को छू नहीं लेती।
  3. वह किसी खिलाड़ी द्वारा एक से अधिक बार लगातार प्रहारित नहीं हो जाती।
  4. सर्विस को छोड़ कर वह प्रत्येक क्षेत्र को रैकट द्वारा तुरंत प्रहारित हुए बिना एकांतर से स्पर्श नहीं कर लेती।
  5. बिना टप्पा खाए आती है।
  6. वह जाल तथा उसकी टेकों को छोड़ कर किसी अन्य वस्तु से छू जाए।
  7. दोकल खेल की सर्विस में सर्वर या रिसीवर की बायीं कोर्ट को छू ले।
  8. युगल खेल में यदि टीम से बाहर के खिलाड़ी ने प्रहार किया हो।
मेज़, टेबल टेनिस

लैट

टेबल टेनिस में विराम को लैट कहते है। निम्न परिस्थिति में लैट होता है-

  1. अच्छी सर्विस होने पर गेंद यदि जाल पार करते समय जाल या उसकी टेकों को छू जाती है।
  2. जब सर्विस प्राप्तकर्त्ता या उसके साथी के तैयार न होने की अवस्था में सर्विस कर दी जाए।
  3. यदि किसी दुर्घटना के कारण कोई खिलाड़ी अच्छी सर्विस या रिटर्न करने से रूक जाता है।
  4. यदि किसी त्रुटि को दूर करने के लिए खेल रोका जाता है।
अंक नियम 9 में दी गई स्थिति को छोड़ कर कोई भी खिलाड़ी अंक खो देना।
  1. यदि वह अच्छी सर्विस करने में असफल रहता है।
  2. यदि विपक्षियों में से किसी एक द्वारा अच्छी सर्विस या अच्छी रिटर्न होने पर वह अच्छी में असफल हो जाए।
  3. यदि किसी खिलाड़ी या गेंद के खेल में रहते हुए क्रीड़ा तल को हिला दे।
  4. यदि उसका मुक्त हाथ गेंद के खेल में रहते हुए क्रीड़ा तल का स्पर्श कर ले।
  5. यदि गेंद खेल में आने से पूर्व अंतरेखा या पार्श्व- रेखा पार करती हुई उन की ओर की मेज़ के क्रीड़ा- तल को स्पर्श नहीं कर पाई है।
  6. यदि गेंट खेल बिना टप्पा खाए लौटाता है।
  7. दोकल खेल में यदि वह उचित अनुक्रम के बिना गेंद को प्रहारित नहीं करता।

जब कोई खिलाड़ी सर्विस करता है या कोई स्ट्रोक मारता है तो उसकी तरफ से खेली गई गेंद विरोध तरफ से ठप्पा खाने की बजाय सीधी उसके रैकट को लगती है तो उस अवस्था में टेकन होता है तो अंक सर्वर या स्ट्रोक मारने वाले को मिलता है।

परिणाम

टेबल टेनिस खेलते खिलाड़ी

मैच अथवा खेल उस खिलाड़ी या जोड़े द्वारा जीती हुई मानी जाएगी जो पहले 21 अंक बना लेगा। यदि दोनों खिलाड़ी/जोड़े 20 अंक बना लेते हैं तो उस वक्त दोनों खिलाड़ियों या जोड़ों का क्रमवार एक-एक सर्विस करने के लिए सुचेत किया जाता है। जो खिलाड़ी या जोड़ा पहले दो अंक विरोधी से अधिक बना लेगा वह विजयी कहलाएगा।

मैच

मैच एक गेम, तीन गेम, या पाँच गेमों या सेटों का होता है। खेल निरंतर जारी रहेगा जब तक कोई खिलाड़ी या युगल विश्राम के लिए नहीं कहता। यह विश्राम पाँच सेट वाले मैच में तीसरी और चौथी सेट के बीच पाँच मिनट से अधिक नहीं होगा। उत्तरवर्ती खेलों में विश्राम एक मिनट से अधिक नहीं होगा।

दिशा और सर्विस का चुनाव

प्रत्येक मैच में दिशा का चुनाव तथा सर्वर या प्रहारक बनने का अधिकार टॉस द्वारा निश्चित किया जाएगा। यदि टॉस जीतने वाला पक्ष सर्वर या प्रहारक का अधिकार चुनता है तो विपक्षी को दिशा चुनने का अधिकार होगा। यह रीति विपरीत क्रम में भी रहेगी। टॉस जीतने वाला यदि चाहे तो विपक्षी को प्रथम चयन का अधिकार दे सकता है।

युगल खेल

खेल में जिस जोड़े को पहले सर्विस करने का अधिकार होगा वह निश्चित करेगा कि किस साथी को ऐसा करना है। इसी प्रकार मैच के प्रथम खेल में विपक्षी जोड़ा भी यह निश्चित करेगा कि किस साथी खिलाड़ी ने पहले सर्विस प्राप्त करनी है। दिशा परिवर्तन तथा सर्विस खेल में एक दिशा से प्रारम्भ करने वाला खिलाड़ी या जोड़ा उससे अगले खेल में दूसरी ओर से प्रारम्भ करेगा। यह क्रम मैच के अंत तक जारी रहेगा। मैच के अंतिम खेल में जो खिलाड़ी या जोड़ा पहले 10 फलांकन बना लेगा वह दिशा परिवर्तन कर सकता है। एकल खेल में 5 अंक के पश्चात् रिसीवर सर्वर बन जाएगा और सर्वर रिसीवर और यही क्रम मैच के अंत तक जारी रहेगा।

आर के खन्ना स्टेडियम

युगल खेल में पहली पाँच सर्विस उस के चुने हुए साथी द्वारा होगी जिन्हें निर्णय का अधिकार था तथा विपक्षी जोड़े के चुने हुए साथी द्वारा प्राप्त की जाएगी। दूसरी पाँच सर्विस प्रथम पाँच सर्विस प्राप्त करने वाला प्रहार करेगा तथा प्रथम पाँच सर्विस करने वाला सर्वर उन्हें प्राप्त करेगा। तीसरी पाँच सर्विस प्रथम पाँच सर्विस करने वाले सर्वर का साथी करेगा तथा प्रथम पाँच सर्विस प्राप्त करने वाले प्रहारक का साथी उन्हें प्राप्त करेगा। चौथी पाँच सर्विस प्रथम पाँच सर्विस करने वाले प्रहारक का साथी करेगा तथा प्रथम पाँच सर्विस करने वाला सर्वर उन्हें प्राप्त करेगा। पाँचवी पाँच सर्विस प्रथम पाँच सर्विस के समान संक्रमित होगी। खेल इसी क्रम में जारी रहेगा जब तक खेल समाप्त नहीं हो जाता।

फलांकन के 20 आल होने पर या खेल के एकस्पिडाइट पद्धति के अंतर्गत खेले जाने पर सर्विस और प्रहार करने का क्रम वही रहेगा, किंतु खेल के अंत तक प्रत्येक खिलाड़ी बारी-बारी से केवल एक सर्विस करेगा। जो खिलाड़ी या जोड़ा पहले खेल में सर्विस करेगा वह उससे अगले खेल में सर्विस प्राप्त करेगा।

युगल मैच के अंतिम खेल में 10 फलांकन पर जोड़े दिशा परिवर्तन कर लेंगे। इस तरह एकल में भी अंतिम गेंद में दस अंक खेलने के बाद दिशा बदली जाती है।

दिशा में सर्विस की क्रमहीनता

टेबल टेनिस खेलते खिलाड़ी

यदि कोई खिलाड़ी समय पर दिशा परिवर्तन नहीं करते वे त्रुटि ज्ञात होते ही दिशाएँ बदलेंगे, जब तक कि त्रुटि के बाद खेल समाप्त न हो चुका हो, तब त्रुटि की उपेक्षा कर दी जाएगी। किसी भी परिस्थिति में त्रुटि ज्ञात होने से पूर्व के सब बनाए हुए अंक माने जाएँगे।

यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना सर्विस करता है तो त्रुटि ज्ञात होते ही खेल रोक दिया जाएगा और खेल उस खिलाड़ी की सर्विस या प्राप्ति द्वारा पुनः जारी किया जाएगा, जिसे खेल के प्रारम्भिक क्रम के अनुसार करनी चाहिए थी या फलांकन के 10 पर पहुँचने पर यदि नियम 14 के अंतर्गत उस क्रम में परिवर्तन हो गया हो तो उसी क्रम के अनुसार उसे सर्विस करनी या प्राप्त करनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में त्रुटि ज्ञात होने के पूर्व के सब बनाये हुए अंक माने जाएँगे।


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