तद्भव
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संस्कृत के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी आदि से गुजरने के कारण आज परिवर्तित रूप में मिलते हैं, वे तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे-
क्रम संख्या | संस्कृत | प्राकृत | हिन्दी |
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1. | उज्ज्वल | उज्ज्वल | उजला |
2. | कर्पूर | कप्पूर | कपूर |
3. | संध्या | संझा | साँझ |
4. | हस्त | हत्थ | हाथ |
- 'तद्भव' (तत् + भव) शब्द का अर्थ है- 'उससे होना' अर्थात् संस्कृत शब्दों से विकृत होकर (परिवर्तित होकर) बने शब्द।
- हिन्दी में अनेक शब्द ऐसे हैं, जो निकले तो संस्कृत से ही हैं, किंतु प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी से गुजरने के कारण बहुत बदल गए हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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