नवीन निश्चल का फ़िल्मी कॅरियर
नवीन निश्चल का फ़िल्मी कॅरियर
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पूरा नाम | नवीन निश्चल |
जन्म | 11 अप्रैल, 1946 |
जन्म भूमि | लाहौर, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 19 मार्च, 2011 |
मृत्यु स्थान | मुंबई |
पति/पत्नी | नीलू कपूर, गीतांजली |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | हिंदी सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | 'सावन भादो', बुड्ढा मिल गया', 'विक्टोरिया नं. 203', 'धर्मा', 'हँसते जख्म', 'धुँध', 'दो लड़के दोनों कड़के', 'द बर्निंग ट्रेन', 'होटल', 'अनोखा बंधन' आदि |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | नवीन निश्चल ने नब्बे के दशक में फ़िल्मों में चरित्र अभिनय के अलावा टीवी धारावाहिकों में भी काम किया। धारावाहिक ‘देख भाई देख’ उनका काफी लोकप्रिय हुआ। |
नवीन निश्चल भारतीय फ़िल्म अभिनेता थे,जिन्होंने 1980 में रवि चोपड़ा की फ़िल्म 'द बर्निंग ट्रेन' से चरित्र अभिनेता के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की थी।
कॅरियर
नवीन निश्चल ने अपने कॅरियर की शुरुआता 1970 में फ़िल्म ‘सावन भादो’ से की। फ़िल्म हिट हुई और उनके घर निर्माताओं की लाइन लग गई और नवीन ने बिना सोचे समझे ढेर सारी फ़िल्में साइन कर ली। 1971 में नवीन की 6 फ़िल्में रिलीज हुई, जिसमें से 'बुड्ढा मिल गया' को औसत सफलता मिली। नवीन को समझ में आ गया कि उन्होंने आँख बंद कर फ़िल्में साइन करके सबसे बड़ी गलती की है, इस ग़लती का उनके कॅरियर पर गंभीर असर पड़ा। कुछ समय बाद उन्हें सायरा बानो के साथ फ़िल्म 'विक्टोरिया नं. 203' (1972) करने का मौक़ा मिला। फ़िल्म हिट हो गयी, लेकिन फ़िल्म की कामयाबी का श्रेय प्राण और अशोक कुमार की जोड़ी को मिला। इसके बाद फिर एक सुपर हिट फ़िल्म 'धर्मा' (1973) के हीरो नवीन निश्चल बने, लेकिन फ़िल्म की कामयाबी का सेहरा फ़िल्म के संगीत और प्राण के सिर बंध गया। फ़िल्म 'हंसते जख्म' (1973) में भी नवीन ने अपनी अदाकारी का हुनर दिखाया। फ़िल्म हिट नहीं हुई, लेकिन अपने संगीत की वजह से आज भी याद की जाती है।[1]
नवीन ने जब अपने कॅरियर की शुरुआत की थी, तब वह दौर रोमांटिक फ़िल्मों का था, लेकिन सुंदर चेहरा और सहज अभिनय की प्रतिभा के होते हुए भी नवीन निश्चल ए श्रेणी के अभिनेताओं की कतार में अपनी जगह नहीं बना सके। ऐसे में नवीन निश्चल जैसे रोमांटिक अभिनेता जिनकी पहचान एक्शन फ़िल्मों में भी नहीं बन पायी थी। कुछ समय तक गुमनामी के अंधेरे में रहने के बाद उन्हें फिर काम मिलना शुरू हुआ। 1980 में लेख टंडन की फ़िल्म 'एक बार कहो', 1982 में बी.आर इशारा की 'लोग क्या कहेंगे', जैसी फ़िल्में उन्हे मिलीं।
चरित्र अभिनेता
1980 में ही रवि चोपड़ा की फ़िल्म 'द बर्निंग ट्रेन' में उन्होंने चरित्र अभिनेता के रूप में अभिनय प्रस्तुत किया। इस फ़िल्म में वे एक सहज स्वभाव वाले डाक्टर की भूमिका में थे और अगले कई सालों तक वे सह भूमिकायें निभाते रहे। सह अभिनेता के रूप में उन्हें और ज़्यादा प्रसिद्धि मिली फ़िल्म 'राजू बन गया जैंटलमैन' (1992) जैसी फ़िल्मों से। वो इस फ़िल्म में एक रईस आदमी के चरित्र में ऐसे समा गये जैसे वे इसी तरह की भूमिकाओं के लिए बने थे।
नब्बे के दशक में नवीन ने फ़िल्मों में चरित्र अभिनय के अलावा टीवी धारावाहिकों में भी काम किया। धारावाहिक ‘देख भाई देख’ भी काफी लोकप्रिय हुआ। नवीन निश्चल की अंतिम फ़िल्म 'ब्रेक के बाद' (2010) थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नवीन निश्चल (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2017।
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