पश्चिम बंगाल की कृषि
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पश्चिम बंगाल राज्य की आर्थिक व्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य के चार में से तीन व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्यों में लगे हैं। वर्ष 2006-07 में राज्य में कुल खाद्य उत्पादन 15820 हज़ार टन था जिसमें से चावल का उत्पादन 14745.9 हज़ार टन, गेहूँ और दलहनों का उत्पादन क्रमश: 799.9 हज़ार टन और 154.4 हज़ार टन रहा। इसी अवधि में तिलहनों का उत्पादन 645.4 हज़ार टन और आलू का 5052 हज़ार टन हुआ। 2006-07 में पटसन का उत्पादन 8411.5 हज़ार गांठें रहा। पटसन, कपास और काग़ज़ की मिलों का प्रमुख केंद भाटपारा है।
भू-परिदृश्य और अर्थव्यवस्था, दोनों में कृषि की प्रधानता है। राज्य के प्रत्येक चार में से तीन व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि में संलग्न हैं, सापेक्षिक कृषि योग्य भूमि के कुल क्षेत्र (65 प्रतिशत) के मामले में पश्चिम बंगाल अन्य राज्यों से आगे है। दार्जिलिंग को छोड़कर अन्य सभी ज़िलों में धान की, जिसे विस्तृत सिंचाई की आवश्यकता होती है। फ़सल प्रमुख है। अपने छोटे के बावजूद देश के कुल चावल-उत्पादन क्षेत्र का 14 प्रतिशत भाग पश्चिम बंगाल बोता है और देश की कुल उपज का 16 प्रतिशत काटता है। इस अत्यधिक उपज का श्रेय सघन फ़सल पद्धति व अपेक्षाकृत भारी मात्रा में उर्वरक का प्रयोग, दोनों जो जाता है। जूट जो दूसरी प्रमुख फ़सल है, ख़ासकर बांग्लादेश के सीमांत व गंगा नदी के दक्षिणी ज़िलों में प्रमुखता से उपजाया जाता है। सभी दक्षिणी ज़िलों में गेहूँ व आलू को शीतकालीन फ़सल के रूप में उगाया जाता है। एक अरसे से दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी अपनी उच्च गुणवत्ता वाली चाय के लिए जाने जाते हैं। दार्जिलिंग में संतरा, सेब, अन्नानास, इलायची और अदरक भी होता है। राज्य के दक्षिणी और मध्य क्षेत्र में आम, तरबूज व केले का व्यापक रूप से उत्पादन होता है।
सिंचाई
राज्य में बड़ी एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है। राज्य में इस समय 'तीस्त बैराज परियोजना' और 'सुवर्णरेखा बैराज परियोजना' पर काम चल रहा है। इसके कारण दसवीं परियोजना में 51.475 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता प्राप्त की जा सकी। 11वीं योजना का लक्ष्य 210 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई का सृजन करना है। कुल 1,38,520 हेक्टेयर की संचित सिंचाई 2006-07 तक तिस्ता बैराज परियोजना में बनाई गई है जो 5,27,000 हेक्टेयर है। 'सुबाम रेखा बैराज परियोजना में ख़रीफ की 99248 हेक्टेयर तथा रबी की 30,766 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की पूर्वी और पश्चिमी मैदनीपुर ज़िलों में योजना है।
पुरुलिया ज़िले में मध्यम 32 सिंचाई योजनाओं में से 25 सिंचाई योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। राज्य में अंतिम लघु सिंचाई 44.34 लाख हेक्टेयर आंकी गई है, जिसमें से 31.34 लाख हेक्टेयर भूमि भूजल संसाधनों तथा 13.00 लाख हेक्टेयर भूमि सतही जल संसाधनों से संचित की जानी है। वर्ष 2006-07 तक 38.64 लाख हेक्टेयर लघु सिंचाई की योजना बनायी गयी है, जिसमें से 81.96 प्रतिशत का उपयोग वर्ष के अंतर्गत 31.67 लाख हेक्टेयर में किया जा सकेगा।
पश्चिम बंगाल में इस समय 'पश्चिम बंगाल विद्युत विकास निगम लिमिटेड', 'पश्चिम बंगाल राज्य बिजली बोर्ड', 'कोलकाता विद्युत आपूर्ति निगम', 'दुर्गापुर परियोजना लि.', 'दिशेरगढ़ विद्युत आपूर्ति निगम' इत्यादि द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है। वर्ष 2007-08 के दौरान राज्य में (अप्रॅल से नवम्बर) तक कुल 21926.2 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया। वर्ष 2007-08 के अंतर्गत (नवंबर 2007 तक) कुल 36,944 मौजों का विद्युतीकरण किया गया एवं 1,14,516 पंप सेट चलायि गये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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