पौष अमावस्या
पौष अमावस्या (अंग्रेज़ी: Paush Amavasya) का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्त्व है। सनातन परंपरा में पौष मास की अमावस्या तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी तीर्थ नदी या सरोवर में स्नान और पितरों के निमित्त किये जाने वाले दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। हर माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के एक दिन बाद अमावस्या पड़ती है। इस दिन चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है।
महत्त्व
पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास 15-15 दिनों यानि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को मिलाकर पूरा होता है। इसमें कृष्ण पक्ष के पंद्रहवें दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के पंद्रहवें दिन पूर्णिमा होती है। सनातन परपंरा में पौष मास की अमावस्या को मिनी पितृ पक्ष भी कहा जाता है। पौष अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त किये जाने वाले उपाय से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिससे प्रसन्न होकर वे अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही साथ अमावस्या के दिन किए जाने कुछ सरल उपाय भी हैं, जिन्हें करते ही जीवन से जुड़ी तमाम प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती हैं।
नदी स्नान
किसी भी मास की अमावस्या तिथि पर किसी पवित्र नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करने का विशेष पुण्य फल है। यदि अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हो तो अत्यंत उत्तम है। यदि किसी कारणवश गंगा नदी के तट पर न पहुंच पाएं तो जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु’ मंत्र को पढ़ते हुए स्नान करें। गंगा स्नान करने का पूरा पुण्यफल प्राप्त होगा। स्नान के बाद प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव को तांबे के लोटे में तिल और जल मिलाकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र को बोलते हुए जल चढ़ाएं। इसके बाद पितरों का ध्यान करते हुए उनके धूप-दीपक जलाएं।
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब सूर्य देव का जलाभिषेक करें। इसके बाद पूजा, जप, तप और दान करें। वे लोग जिनके पूर्वजों का पिंडदान नहीं हुआ है, वे इस दिन अपने पितरों को तर्पण जरूर करें। पूजा-पाठ के बाद गरीबों को भोजन कराने के बाद भोजन ग्रहण करें।
चूंकि अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है, ऐसे में हर किसी को अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए कुछ काम जरूर करने चाहिए, जैसे-
- अमावस्या के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ करें।
- पितरों को याद करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न आदि बांटें।
- पीपल के वृक्ष में जल दें और पीपल के नीचे एक दीपक जरूर जलाएं।
- संभव हो तो अमावस्या के दिन अपने हाथों से पीपल का पौधा लगाएं और उसकी सेवा करें।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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