प्रणामी सम्प्रदाय अथवा परिणामी सम्प्रदाय वैष्णवों का एक उप सम्प्रदाय है। इस सम्पद्राय के प्रवर्तक महात्मा प्राणनाथजी परिणामवादी वेदान्ती थे। भारत में इन्होंने कई प्रांतों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया। आज भी इनके अनुयायी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं।
- महात्मा प्राणनाथजी पन्ना बुंदेलखण्ड के रहने वाले थे।
- बुंदेलखण्ड के महाराज छत्रसाल इन्हें अपना गुरु मानते थे।
- महात्मा प्राणनाथजी मुसलमानों का मेहदी, ईसाइयों का मसीहा और हिन्दुओं का कल्कि अवतार कहते थे।
- इन्होंने मुसलमानों से कई शास्त्रार्थ तथा वाद-विवाद भी किये थे।
- 'सर्वधर्मसमन्वय' की भावना को जागृत करना ही इनका प्रमुख लक्ष्य था।
- इनके द्वारा प्रतिपादित मत प्राय: निम्बार्कियों के जैसा था।
- प्राणनाथजी गोलोकवासी श्री कृष्ण के साथ सख्य भाव रखने की शिक्षा देते थे।
- इन्होंने अपने जीवन में अनेक रचनाएँ भी की हैं।
- भारत में इनकी शिष्य परम्परा का भी एक अच्छा साहित्य है।
- इनके अनुयायी वैष्णव हैं और गुजरात, राजस्थान, बुंदेलखण्ड में अधिक पाये जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 390 |
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