पुरातत्वीय संग्रहालय, बादामी
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विवरण | बादामी का यह पुरातत्वीय संग्रहालय उत्तरी पहाड़ी के नीचे की पहाड़ियों में स्थित है जहां उत्तरी क़िला भी है और इसके समीप प्रसिद्ध पल्लव नरसिंहवर्मन के अभिलेख मौजूद हैं। |
राज्य | कर्नाटक |
नगर | बादामी |
स्थापना | 1982 ई. |
गूगल मानचित्र | |
खुलने का समय | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक |
अवकाश | शुक्रवार |
अन्य जानकारी | इस संग्रहालय में लज्जा गौरी, दोनों तरफ उत्कीर्ण मकर तोरण, भागवत को दर्शाने वाले वर्णनकारी पैनल (पट्ट), शेर, हाथी जैसे पशु-मूर्तियां, कलादिमूर्ति, त्रिपुरांतक शिव और भैरवी आदि अत्युत्तम कलावस्तुएं शामिल हैं। |
अद्यतन | 16:54, 8 जनवरी 2015 (IST)
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पुरातत्वीय संग्रहालय, बादामी कर्नाटक के बादामी नगर में स्थित है। बादामी (अक्षांश 16° 55' उत्तर, देशांतर 75° 48' पूर्व) बगलकोट के दक्षिण-पूर्व में 40 कि.मी. की दूरी पर, बीजापुर से 132 कि.मी. दक्षिण और धारवाड़ से 110 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है। गाडगे-शोलापुर मीटर गेज पर बादामी निकटतम रेलवे स्टेश्न और हैदराबाद निकटतम हवाई अड्डा है। धारवाड़ गाडगे, बीजापुर और बगलकोट से बादामी के लिए अनेक बसें चलती हैं।
इतिहास
बादामी, बादामी के प्रारंभिक चालुक्यों की राजधानी थी जो 6-8वीं सदी ईसवी में इस स्थान से शासन करते थे। यह स्थान वातापी, वातापी अधिस्थान और बादामी आदि प्राचीन नामों से प्रसिद्ध है। परवर्ती शताब्दियों के दौरान भी 19वीं शताब्दी के प्रारंभ तक यह एक महत्वपूर्ण राजनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान था जो बाद के कई वशों के शासनों का हिस्सा रहा। बादामी में इन कालों के दौरान अनेक धार्मिक और रक्षा संबंधी संरचनाएं निर्मित की गई। विशाल मूर्तिकला के साथ ब्राह्मण, बौद्ध और जैन धर्म की उत्खनित सुंदर चट्टानों की गुफाएं, बलुआ पत्थरों की संरचनाओं की प्राकृतिक सुंदरता के बीच अगस्त्य तीर्थ टैंक के चारो ओर प्रयोगों की विभिन्न अवस्थाओं को दर्शाने वाले द्रविड़ विमान शैली के मंदिर इस स्थान की एक विशिष्ट पर्यटन स्थल बनाते हैं।
विशेषताएँ
- बादामी का यह पुरातत्वीय संग्रहालय उत्तरी पहाड़ी के नीचे की पहाड़ियों में स्थित है जहां उत्तरी क़िला भी है और इसके समीप प्रसिद्ध पल्लव नरसिंहवर्मन के अभिलेख मौजूद हैं। इसे 1979 में बादामी में और इसके आसपास खोजी गई सामग्रियों, मूर्तियों, अभिलेखों, बिसरे पड़े पुरातत्वीय अंशों का संग्रह और परिरक्षण करने के लिए एक मूर्तिशाला के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में इसे वर्ष 1982 में एक पूर्णरूपेण स्थल संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
- इस संग्रहालय में मुख्य रूप से 6वीं से 16वीं सदी ईसवी के प्रागैतिहासिक पत्थर के औजार और मूर्तियां, पुरातत्वीय अंश, अभिलेख, वीर पाषाण इत्यादि मौजूद हैं।
- इस संग्रहालय में चार दीर्घाएं हैं, बरामदे में एक खुली दीर्घा है और आगे की ओर एक ऊपर से खुली दीर्घा है। प्रदर्शित वस्तुओं में मुख्यत: विभिन्न स्वरूपों में शिव, गणपति, विष्णु के रूप, भागवत दृश्यों का वर्णन करने वाली पैनल (पट्ट), लज्जा गौरी इत्यादि की प्रतिमाएं शामिल हैं।
- एक दीर्घा में शिला की शिल्प वस्तुएं, प्रागैतिहासिक कला और उस युग के लोगों की गतिविधियों को दर्शाने वाली दीवार में लगी प्रदर्शन-मंजुषाओं और ट्रांस्लाइडों समेत समीपस्थ प्रागैतिहासिक चट्टान की शरणस्थली (शिद्लाफडी गुफा) का मॉडल मौजूद है।
- खुले बरामदे और खुली दीर्घा में पाषाण शिलाएं, अभिलेख, उत्कीर्ण पुरातत्वीय अवशेष और प्रभावशाली द्वारपालक की मूर्तियां के जोड़े पीठिकाओं पर प्रदर्शित है। एक नई दीर्घा में, पुरालेखीय और पुरातत्वीय प्रदेशों को व्यवस्थित किया जा रहा है।
- इस संग्रह में लज्जा गौरी, दोनों तरफ उत्कीर्ण मकर तोरण, भागवत को दर्शाने वाले वर्णनकारी पैनल (पट्ट), शेर, हाथी जैसे पशु-मूर्तियां, कलादिमूर्ति, त्रिपुरांतक शिव और भैरवी आदि अत्युत्तम कलावस्तुएं शामिल हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय - बादामी (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 6 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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