बोर्रा गुफ़ाएँ
| |||
विवरण | 'बोर्रा गुफ़ाएँ' आंध्र प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से एक है, जो विशाखापत्तनम से 90 किमी और अराकू घाटी से 30 किमी की दूरी पर स्थित हैं। | ||
राज्य | आंध्र प्रदेश | ||
ज़िला | विशाखापत्तनम | ||
प्रसिद्धि | पर्यटन स्थल | ||
संबंधित लेख | आंध्र प्रदेश, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश पर्यटन, अराकू घाटी, भारत, गोस्थानी नदी, | क्षेत्रफल | यह पूर्वी घाट में दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई हैं। |
खोज | यह गुफ़ाएँ 'विलियम किंग जोर्जे' ने सन 1807 में खोज कर निकाली थी। | ||
अन्य जानकारी | गुफ़ा की गहराई में बना शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है और इसके ऊपर बनी गाय, कामधेनु की आकृति है जिसके थनों से 'गोस्थानी नदी' का उद्गम हुआ है। गोस्थानी अर्थात् गो + स्थानी=गाय के थन, यह गुफ़ाएँ गाय के थन की आकृति की कही जाती हैं। इन गुफ़ाओं में विभिन्न आकार के स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईट मिल जाते हैं। |
बोर्रा गुफ़ाएँ अथवा बुर्रा गुफ़ाएँ आंध्र प्रदेश राज्य में विशाखापत्तनम से 90 किमी और अराकू घाटी से 30 किमी की दूरी पर स्थित हैं। भारत के पूर्वी तट पर 'अनन्तगिरि' पहाडियों में बनी ये गुफ़ाएँ देश की सब से बड़ी गुफ़ाओं में से एक है। यह पूर्वी घाट में दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई हैं। दस लाख साल पुरानी ये गुफ़ाएं समुद्रतल से 1400 फुट ऊंचाई पर है।
बोर्रा का अर्थ
तेलुगु में बोर्रा का अर्थ है- 'मस्तिष्क'। बोर्रा शब्द का एक अर्थ 'ज़मीन में गहरा खुदा हुआ' भी है।
इतिहास
यह गुफ़ाएँ विलियम किंग जोर्जे नामक एक अंग्रेज़ ने सन् 1807 में खोज कर निकाली थी।
गुफ़ाओं का विवरण
- कहानी के अनुसार, गुफ़ा की गहराई में बना शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है और इसके ऊपर बनी गाय, कामधेनु की आकृति है जिसके थनों से 'गोस्थानी नदी' का उद्गम हुआ है। गोस्थानी अर्थात् गो + स्थानी=गाय के थन, यह गुफ़ाएँ गाय के थन की आकृति की कही जाती हैं। इन गुफ़ाओं में विभिन्न आकार के स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईट मिल जाते हैं।
- इस गुफ़ा में छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं। इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं। अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा गुफ़ा की छत पर पदार्थ जमा होने लगते हैं। इस निक्षेप की आकृति कुछ-कुछ स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं।
- गुफ़ाएँ अंदर से काफ़ी विराट हैं। उनके भीतर घूमना एक अद्भुत अनुभव है। अंदर घुसकर वह एक अलग ही दुनिया नजर आती है।
- गुफ़ाओं में पानी के प्रवाह ने ज़मीन के भीतर ऐसी-ऐसी कलाकृतियाँ गढ़ दी हैं कि वे किसी उच्च कोटि के शिल्पकार की सदियों की मेहनत प्रतीत होती है।
- एक जगह तो चट्टानों में थोड़ी ऊंचाई पर प्राकृतिक शिवलिंग इस तरह से बन गया है कि उसे बाकायदा लोहे की सीढ़ियाँ लगाकर मंदिर का रूप दे दिया गया है।
- कहीं ज़मीन को बांटती एक दरार तो कहीं बड़े-बड़े खंभे या फिर लंबी लटकती जटाओं सरीखी चट्टानें दिखाई देती है।
गोस्थानी नदी
भूवैज्ञानिकों के शोध कहते हैं कि लाइमस्टोन की ये स्टैलक्टाइट व स्टैलग्माइट गुफ़ाएं गोस्थानी नदी के प्रवाह का परिणाम हैं। हालांकि अब नदी की मुख्यधारा गुफ़ाओं से कुछ दूरी पर स्थित है लेकिन माना यही जाता है कि कुछ समय पहले यह नदी गुफ़ाओं में से होकर और उससे भी पहले इनके ऊपर से होकर गुजरती थी। स्टैलक्टाइट व स्टैलग्माइट उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें कोई खनिज पानी के साथ मिलकर प्राकृतिक रूप से जम जाता है। नदी के पानी के प्रवाह से कालांतर में लाइमस्टोन घुलता गया और गुफ़ाएं बन गई। अब ये गुफ़ाएं अराकू घाटी का प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
बोर्रा गुफ़ाएँ, विशाखापत्तनम
-
स्टैलक्टाइट, बोर्रा गुफ़ाएँ
-
गोस्थानी नदी का उद्गम स्थल, बोर्रा गुफ़ाएँ
-
बोर्रा गुफ़ाएँ, विशाखापत्तनम
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख