मेलुहा
मेलूहा बहुत प्राचीन शब्द है। प्राचीन सुमेर देश (आज का इराक़) के साहित्य में वर्णन है कि वे लोग मेलूहा देश से व्यापार करते थे। यूं तो कोई भी पक्की तरह नहीं कह सकता कि यह मेलूहा कौन सा देश था, कहाँ था, किन्तु अनेक विद्वानों कि राय है कि सुमेर (इराक़) देश के लोग सिंधु-सरस्वती सभ्यता को ही मेलूहा कहते थे। अगर यह सच भी है तब भी यह बात उल्लेखनीय है कि शायद अमीश से पहले कभी किसी भारतीय ने अपने ही देशवासियों के लिए मेलूहा शब्द का प्रयोग नहीं किया था।
यदि सिंधु सभ्यता का भारत ही मेलूहा था, तब भी कोई यह नहीं जानता कि सुमेर के लोग भारतीयों को मेलूहा क्यों कहते थे या फिर इस शब्द का अर्थ क्या था? अनेक अटकलें लगाई गईं हैं। एक अटकल यह है कि सुमेरी लोग भारत से तिल का तेल मंगाते थे, तेल को सुमेरी में एल्लू कहते हैं (तिल को भी दक्षिण भारत की भाषाओं में एल्लू कहते हैं); अतः एल्लू और मेलूहा की आपस में रिश्तेदारी है। लेकिन सुमेरी लोग तो भारत से तेल के अतिरिक्त और भी अनेक वस्तुएँ मंगाते थे, फिर मेलूहा शब्द के उत्स में विद्वानो का जोर तेल पर ही क्यों? एक यूरोपियन विद्वान तो यहाँ तक कहते हैं कि मेलूहा शब्द ही बाद में मलेच्छ शब्द में बदल गया। यह समझ पाना कठिन है कि सप्त सिंधु के लोग स्वयं को ही मलेच्छ कहने लगे थे।
मेलूहा शब्द के उत्स का रहस्य इस बात में छिपा हो सकता है कि इराक़/ ईरान के लोग भारतीयों को सिंधु सभ्यता के बाद के काल में क्या कहते थे, या भारतीय उन्हें क्या कहते थे? अब यह बात सभी जानते हैं कि प्राचीन काल से हम अपने को भारत कहते आए हैं। भारत नाम अनेक प्राचीन ग्रन्थों में है। किन्तु पश्चिम में सिंधु नदी के पार रहने वाले सुमेरी (इराक़ी), ईरानी, अरब भारतीयों को हिन्दू कहते थे। यूं तो वे सिंधु पार के लोगों को 'सिंधु' ही कहना चाहते थे, पर क्योंकि वे 'स' को 'ह' बोलते थे, अतः सिंधु को हिन्दू कहते थे। उनसे भी पश्चिम में यूरोप के लोगों ने हिन्दू शब्द को ही इंदू कहा, जिससे बना इंदिया या इंडिया।
सिंधु-सरस्वती के मैदानों में रहने वाले लोग पश्चिम के देशों से व्यापार के लिए समुद्र मार्ग से जाते थे और इस यात्रा में सबसे पहले आने वाले पड़ोसी देश के लिए शायद 'पार्श्व' (=निकट) शब्द का प्रयोग करते होंगे। पार्श्व बिगड़ कर पार्श्व > पारशव > पारसय > पारसी > फारसी हो गया होगा। इसी क्रम में पूर्व दिशा के लोग पूर्वी कहलाए होंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को आज भी पूरबिये कहते हैं। कल्पना कीजिये कि यदि सुमेरी लोग हमें पूर्वी कहते हों, तब यह शब्द कैसे बिगड़ा होगा: पूर्वी > पूल्वी > मूल्वी > मेल्यी > मेलही > मेलूहा या शायद सुमेरी लिपि की अपूर्णता के कारण ही लिखे हुए पूर्वी को मेलूहा पढ़ते हैंं?
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख