राजेंद्र नाथ का फ़िल्मी कॅरियर

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राजेंद्र नाथ का फ़िल्मी कॅरियर
राजेंद्र नाथ
राजेंद्र नाथ
पूरा नाम राजेंद्र नाथ
जन्म 1931
जन्म भूमि पेशावर
मृत्यु 13 फ़रवरी, 2008
मृत्यु स्थान मुंबई, महाराष्ट्र
पति/पत्नी गुलशन कृपलानी
संतान एक बेटा और एक बेटी
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र सिनेमा जगत
मुख्य फ़िल्में 'जब प्यार किसी से होता है', 'शरारत', 'दिल देके देखो', 'जानवर', 'जवां मोहबब्त', 'तुम हसीं मैं जवां', 'फिर वहीं दिल लाया हूँ', 'पूरब और पश्चिम', 'मुझे जीने दो', 'जीवन-मृत्यु', 'बेखुदी', 'जमाने को दिखाना है', 'प्रेम रोग' आदि।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी राजेंद्र नाथ के चरित्र 'पोपट लाल' को जब खूब लोकप्रियता मिली तो उन्होंने ‘द पोपटलाल शो’ नामक एक कार्यक्रम बनाया और विदेशों में इस कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।

राजेंद्र नाथ हिंदी फ़िल्मों के हास्य कलाकार थे। उन्होंने पंजाबी, भोजपुरी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में भी काम किया था। उन्होंने 175 से अधिक फ़िल्मों में काम किया।

कॅरियर

राजेंद्र नाथ के बड़े भाई प्रेमनाथ को जब पृथ्वी थियेटर में काम मिल गया। तब उन्होंने राजेंद्र नाथ को अपने पास बुला लिया। राजेंद्र भी पृथ्वी थियेटर से जुड़ गए, लेकिन वो अपने भविष्य को लेकर गंभीर नहीं थे क्योंकि रहने खाने का इंतजाम उनके भाई प्रेमनाथ के करते थे। एक दिन प्रेमनाथ ने उन्हें सख़्त चेतावनी दी कि वे अपने कॅरियर को लेकर गंभीर हो जाएं और अपने खर्चे खुद उठाएं। प्रेमनाथ के इस रवैये ने राजेंद्र नाथ को अचानक गंभीर बना दिया और उन्होंने फ़िल्मों में काम खोजने के लिये भाग दौड़ शुरू की।[1]

पहली फ़िल्म

राजेंद्र नाथ को पहली फ़िल्म अशोक कुमार अभिनीत 'वचन' मिली, जिसमें उनकी बहुत छोटी सी भूमिका थी। इसके बाद 'बेगम और बादशाह', 'गुलाम' सहित कुछ फ़िल्मों में उन्हें छोटी-छोटी भूमिकाएँ मिलीं तो उनका हैसला बढ़ने लगा। प्रेमनाथ को यह देख कर बहुत सुकून हुआ और उन्होंने राजेंद्र नाथ को हीरो बनने के लिये प्रेरित करना शुरू किया, लेकिन राजेंद्र नाथ को कोई भी हीरो के रूप में काम देने पर तैयार नहीं था। कहीं से काम मिलता न देख प्रेमनाथ ने खुद राजेंद्र नाथ को अपनी फ़िल्म 'गोलकुंडा का क़ैदी' में साइड हीरो का रोल दिया। 1954 में रिलीज हुई यह फ़िल्म फ़्लॉप हो गयी। साथ ही राजेंद्र नाथ का हीरो बनने का जोश भी ठंडा पड़ गया। इसके बाद पांच साल तक राजेंद्र नाथ काम की तलाश में भटकते रहे और बीच बीच में छोटे मोटे रोल करते रहे।

हास्य कलाकार के रूप में

यह एक इत्तेफाक था कि एक दिन आई.एस जौहर से हुई मुलाकात ने उनकी गाड़ी को पटरी पर ला दिया। 1959 में जौहर एक फ़िल्म बना रहे थे 'हम सब चोर हैं'। इस फ़िल्म के लिए उन्होंने राजेंद्र नाथ को हास्य भूमिका दी। फ़िल्म रिलीज हुई तो राजेंद्र नाथ के काम की भरपूर तारीफ हुई। जौहर ने राजेंद्र नाथ को अपनी अलगी फ़िल्म नरगिस, प्रदीप कुमार अभिनीत फ़िल्म 'मिस इंडिया' में मौक़ा दिया। साथ ही एच.एस रवैल ने उन्हें अपनी फ़िल्म 'शरारत' में काम दिया दोनों फ़िल्में सफल रहीं। इन सफलताओं से राजेंद्र नाथ फ़िल्मी दुनिया में हास्य अभिनेता के रूप में स्थापित होने लगे। लेकिन राजेंद्र नाथ को स्टार कॉमेडियन का झंडा फ़िल्म 'दिल देके देखो' में मिला। इस फ़िल्म के बाद राजेंद्र नाथ की ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव आया, पहले उन्हें काम मांगने जाना पड़ता था लेकिन अब काम ख़ुद उनके पास आने लगा। फिर आयी 1961 में नासिर हुसैन निर्देशित फ़िल्म 'जब प्यार किसी से होता है'। इसमें राजेंद्र नाथ ने पोपट लाल के रूप में अभिनय किया। अजीब कपड़े पहने बेहद बौड़म इंसान के रूप में राजेंद्र नाथ को बहुत प्रशंसा मिली। नासिर का हास्य बोध बहुत अच्छा था। उन्होंने राजेंद्र नाथ से इतना ज़बर्दस्त काम लिया कि पोपट लाल, राजेंद्र नाथ के नाम से जुड़ गया।

द पोपट लाल शो

राजेंद्र नाथ के पोपट लाल के चरित्र को जब खूब लोकप्रियता मिली तो उन्होंने ‘द पोपटलाल शो’ नामक एक कार्यक्रम बनाया और विदेशों में इस कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। 'पोपट लाल' शो में राजेंद्र नाथ खास अंदाज़ में स्टेज पर चुटकुले सुनाते और मिमिक्री करते। उनके शो यूरोप और अमेरिका में धूम मचाने लगे।

फ़िल्म इंडस्ट्री में राजेंद्र नाथ का सिक्का जम गया। फ़िल्मों में राजेंद्र नाथ की व्यस्तता बढ़ती गयी। लेकिन तभी एक कार दुर्घटना में वो बुरी तरह ज़ख्मी हो गए। लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहने की वजह से उन्हें फ़िल्मों में काम मिलना कम हो गया। फिर भी उन्होंने पंजाबी, भोजपुरी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में भी काम किया। महमूद, जॉनी वॉकर जैसे दिग्गज हास्य अभिनेताओं के दौर में राजेंद्र नाथ ने अपनी मेहनत से अलग स्थान बना ली। 1974 में उन्हें फ़िल्म बनाने की सूझी। रणधीर कपूर और नीतू सिंह को लेकर उन्होंने फ़िल्म 'ग्रेट क्रैशर' शुरू की, लेकिन जल्द ही राजेंद्र नाथ भारी कर्ज़ें में डूब गए। ऐसे समय में उनके बड़े भाई प्रेमनाथ ने उनका साथ दिया। निर्माता बनने के सपने ने राजेंद्र नाथ को बुरी तरह तोड़ दिया।

अंतिम फिल्में

कुछ दिनों बाद राजेंद्र नाथ ने फ़िल्मों में अभिनय की दूसरी पारी शुरू की। राजकपूर की फ़िल्म 'प्रेम रोग' और 'बीवी ओ बीवी' में अहम भूमिकाएं निभाईं। इस दौरान उनके छोटे भाई खलनायक नरेंद्र नाथ की मौत हो गयी। इसके बद उन्होंने फ़िल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। लेकिन पोपट लाल शो की लोकप्रियता कम नहीं हुई थी। उन पर ये शो करने का दबाव बना ही रहता था, इसलिये वो दुनिया भर में घूम-घूम कर पोपट लाल शो करते थे। नब्बे के दशक में काजोल की पहली फ़िल्म 'बेख़ुदी' और नीलम अभिनीत 'सौदा' राजेंद्र नाथ की अंतिम फ़िल्में थीं। अभिनय की अंतिम पारी उन्होंने 'हम पांच' धारावाहिक में पूरी की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजेंद्र नाथ (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 9 जुलाई, 2017।

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