विश्व हिंदी सचिवालय
विश्व हिंदी सचिवालय
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विवरण | 'विश्व हिंदी सचिवालय' वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार में संलग्न भारत और मॉरीशस सरकार की एक द्विपक्षीय संस्था है। |
मुख्यालय | फ़ॉरेस्ट साइड, क्युर्पिप, मॉरीशस |
शिलान्यास | 1 नवंबर, 2001 |
कार्यारंभ | 11 फ़रवरी, 2008 |
सदस्य | भारत, मॉरीशस, फ़िजी, सूरीनाम, नेपाल |
प्रशासनिक भाषा | हिन्दी |
संबंधित लेख | विश्व हिन्दी सम्मेलन, विश्व हिंदी डेटाबेस, भारत, मॉरीशस, हिन्दी |
अन्य जानकारी | 1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान एक विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना का विचार मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री व प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष सर शिवसागर रामगुलाम द्वारा प्रस्तुत किया गया था। |
विश्व हिंदी सचिवालय (अंग्रेज़ी: World Hindi Secretariat) मॉरीशस के मोका गाँव में स्थित है। सचिवालय 11 फ़रवरी, 2008 से कार्यरत है। हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में संवर्द्धन करने और विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को संस्थागत व्यवस्था प्रदान करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना का निर्णय लिया गया था। सचिवालय की एक शासी परिषद तथा एक कार्यकारी मंडल है। विश्व हिन्दी सचिवालय के महासचिव इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। भारत सरकार तथा मॉरीशस की सरकार के बीच सम्पन्न द्विपक्षीय करार के अनुसार विश्व हिन्दी सचिवालय का प्रथम महासचिव मॉरीशस से होगा और इसका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। भारत सरकार तथा मॉरीशस की सरकार के बीच सम्पन्न द्विपक्षीय करार के अनुसार विश्व हिन्दी सचिवालय का प्रथम उपमहासचिव भारत से होगा और इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।
स्थापना
1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान एक विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना का विचार मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री व प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष सर शिवसागर रामगुलाम द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस विचार ने दृढ़ संकल्प का रूप धारण किया। मॉरीशस में आयोजित द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन में और लगातार कई विश्व हिंदी सम्मेलनों में मंथन के बाद मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना का विचार साकार हुआ। भारत सरकार व मॉरीशस सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए तथा मॉरीशस की विधान सभा में अधिनियम पारित किया गया।[1]
अप्रैल, 1996 में त्रिनिदाद व टोबैगो में हुए 5वें विश्व हिंदी सम्मेलन के बाद मॉरीशस सरकार ने विश्व हिंदी सचिवालय के निर्माण से संबंधित कार्यों के लिए डॉ. श्रीमती सरिता बुधु को शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। जून, 1996 में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से भारत सरकार के सहयोग के साथ मॉरीशस में शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय में विश्व हिंदी सचिवालय की एक इकाई का गठन किया गया।
समझौता ज्ञापन
20 अगस्त, 1999 को एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। मॉरीशस सरकार व भारत सरकार ने पोर्ट लुइस, मॉरीशस में सचिवालय के उद्देश्यों, संचालन और वित्तपोषण से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। तत्कालीन शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीय रामासामी चेदम्ब्रम पिल्ले और तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री एम.एल. त्रिपाठी ने अपनी-अपनी सरकारों का प्रतिनिधित्व किया। विश्व हिंदी सचिवालय मुख्यालय निर्माण के लिए मॉरीशस सरकार ने फ़ेनिक्स में ज़मीन प्रदान की तथा भारत सरकार ने भवन के प्रारूप तथा निर्माण के खर्च की ज़िम्मेदारी ली।
अस्थायी कार्यालय
17 सितंबर, 2001 को अजामिल माताबदल, तत्कालीन सहायक पर्यवेक्षक, प्राच्य भाषा (हिंदी), शिक्षा व मानव संसाधन मंत्रालय के नेतृत्व में विश्व हिंदी सचिवालय ने फ़ॉरेस्ट साइड, क्युर्पिप स्थित एक किराए के भवन में कार्य करना आरंभ किया। सितंबर, 2005 में उनकी सेवा-निवृत्ति के बाद श्री एस. जानकी, तत्कालीन वरिष्ठ पर्यवेक्षक, प्राच्य भाषा (हिंदी) ने महासचिव की नियुक्ति होने तक कार्यभार संभाला। 18 जनवरी, 2007 को महासचिव के पद पर डॉ. श्रीमती विनोद बाला अरुण की नियुक्ति हुई।[1]
शिलान्यास
1 नवंबर, 2001 को मॉरीशस सरकार द्वारा फ़ेनिक्स में प्रदत्त ज़मीन पर विश्व हिंदी सचिवालय का शिलान्यास भारत के तत्कालीन मानव संसाधन विकास, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा समुद्री विकास मंत्री, माननीय मुरली मनोहर जोशी के हाथों, मॉरीशस के तत्कालीन उप-प्रधान मंत्री तथा वित्त मंत्री, माननीय पोल रेमों बेराँज़े, जी.ओ.एस.के., तत्कालीन शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीय स्टीवेन ओबिगादु तथा तत्कालीन कला व संस्कृति मंत्री, माननीय मोती रामदास की उपस्थिति में किया गया।
विश्व हिंदी सचिवालय अधिनियम
12 नवंबर, 2002 को मॉरीशस सरकार द्वारा विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना व प्रबंधन से संबंधित अधिनियम पारित किया गया। हिंदी का अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचार तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्रसंघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए मंच तैयार करने के उद्देश्य से सचिवालय की स्थापना हुई।
समझौते पर हस्ताक्षर
21 नवंबर, 2003 को नई दिल्ली में मॉरीशस सरकार तथा भारत सरकार के बीच विश्व हिंदी सचिवालय के गठन व कार्य पद्धतियों से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस मिशन के दौरान श्री एच. गन्नु, कैबिनेट सचिव ने मॉरीशस सरकार तथा जगदीश चंद्र शर्मा, सचिव (पी.सी.डी.) ने भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
अधिनियम की उद्घोषणा
नवंबर, 2002 में मॉरीशस नेशनल असेंबली में पारित विश्व हिंदी सचिवालय अधिनियम की उद्घोषणा 12 सितंबर, 2005 को हुई।
कार्यारंभ
11 फ़रवरी, 2008 को विश्व हिंदी सचिवालय ने आधिकारिक रूप से कार्यारंभ किया। कार्यारंभ महासचिव डॉ. श्रीमती विनोद बाला अरुण तथा उप-महासचिव डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र के नेतृत्व में हुआ। 12 मार्च, 2015 को फ़ेनिक्स में भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री, महामहिम नरेन्द्र मोदी तथा मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री, माननीय सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, जी.सी.एस.के. के.सी.एम.जी., क्यू.सी. के हाथों विश्व हिंदी सचिवालय मुख्यालय निर्माण का आधिकारिक शुभारंभ किया गया। अवसर पर दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा मॉरीशस की शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीया श्रीमती लीला-देवी दुखन-लछुमन की उपस्थिति में एक स्मारक पट्ट का अनावरण किया गया।[1]
संगठन
विश्व हिन्दी सचिवालय की एक शासी परिषद तथा एक कार्यकारी मंडल है। सचिवालय के महासचिव इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। शासी परिषद में विश्व हिन्दी सचिवालय की शासी परिषद में भारत तथा मॉरीशस, दोनों पक्षों, की ओर से 5-5 सदस्य हैं| भारत की ओर से- विदेश मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री और संस्कृति मंत्री तथा मॉरीशस की ओर से- विदेश कार्य, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सहयोग मंत्री, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री और कला एवं संस्कृति मंत्री। इसके गैर-सरकारी सदस्य हैं- डॉ. रत्नाकर पांडेय, अजामिल माताबदल, डॉ. बालकवि बैरागी एवं श्री सत्यदेव टेंगर।[2]
शासी परिषद की बैठक
शासी परिषद की प्रथम बैठक, भारत के तत्कालीन विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में 28 जनवरी, 2008 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक में भारत की ओर से प्रणब मुखर्जी, विदेशमंत्री अर्जुन सिंह, मानव संसाधन विकास मंत्री अम्बिका सोनी, संस्कृति मंत्री डॉ. रत्नाकर पांडेय, डॉ. आर पी मिश्र, नामित उपमहासचिव, विश्व हिन्दी सचिवालय तथा विदेश मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय के अधिकारीगण उपस्थित थे। मॉरीशस की ओर से डी. गोखुल, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री, एम. एम डल्लु, विदेश कार्य, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सहयोग मंत्री, मुकेश्वर चुन्नी, मॉरीशस के उच्चायुक्त, डॉ.(श्रीमती) विनोद बाला अरूण, महासचिव, विश्व हिन्दी सचिवालय, अजामिल माताबदल, सत्यदेव टेंगर तथा भारत में मॉरीशस के उच्चायोग से अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इसके कार्यकारी मंडल में भारत की ओर से सचिव, विदेश मंत्रालय, सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सचिव, संस्कृति मंत्रालय, मॉरीशस में भारत का उच्चायुक्त तथा मॉरीशस के ओर से स्थायी सचिव, विदेश कार्य, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सहयोग मंत्रालय, स्थायी सचिव, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय, स्थायी सचिव, कला एवं संस्कृति मंत्रालय, स्थायी सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय, मॉरीशस उपस्थित रहे।
कार्यकारी मंडल की बैठक
कार्यकारी मंडल की प्रथम बैठक आर पी अग्रवाल, सचिव (उच्चतर शिक्षा), मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में 24 मई-25 मई को मॉरीशस में आयोजित की गई। बैठक में भारत की ओर से आर पी अग्रवाल, सचिव (उच्चतर शिक्षा), मानव संसाधन मंत्रालय, वी पी हरन, संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय, आर सी मिश्र, संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय, बी जयशंकर, मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त उपस्थित थे और मॉरीशस की ओर से एस रेगन, स्थायी सचिव, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय, एन के बल्लाह, स्थायी सचिव, कला एवं संस्कृति मंत्रालय, वी चितू, प्रथम सचिव, विदेश कार्य मंत्रालय, श्रीमती एस बहादुर, सहायक सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा डॉ.(श्रीमती) विनोद बाला अरुण, महासचिव, विश्व हिन्दी सचिवालय उपस्थित थे।
पदाधिकारी
महासचिव - भारत सरकार तथा मॉरीशस की सरकार के बीच सम्पन्न द्विपक्षीय करार के अनुसार विश्व हिन्दी सचिवालय का प्रथम महासचिव मॉरीशस से होगा और इसका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। तद्नुसार मारीशस से डॉ. (श्रीमती) विनोद बाला अरूण की विश्व हिन्दी सचिवालय की प्रथम महासचिव के रूप में नियुक्त की गईं।
उपमहासचिव - भारत सरकार तथा मॉरीशस की सरकार के बीच सम्पन्न द्विपक्षीय करार के अनुसार विश्व हिन्दी सचिवालय का प्रथम उपमहासचिव भारत से होगा और इसका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। तद्नुसार भारत से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र की विश्व हिन्दी सचिवालय के प्रथम उपमहासचिव के रूप में नियुक्त की गई।
उद्देश्य
विश्व हिंदी सचिवालय के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किये गए हैं-
- हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रोन्नत करना।
- हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में सघन प्रयास करना।
- हिंदी में अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन, संगोष्ठी, समूह विचार-विमर्श, चर्चा एवं कवि सम्मलेन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- हिंदी के विद्वानों को सम्मानित/पुरस्कृत करना।
- हिंदी में शोध कार्य के लिए प्रलेखन केंद्र स्थापित करना।
- अन्तराष्ट्रीय हिंदी पुस्तकालय की स्थापना करना।
- अन्तराष्ट्रीय हिंदी पुस्तक मेले का आयोजन करना।
इस प्रकार भारत के हिंदी भाषी प्रदेशों से सुदूर दक्षिण में एक छोटे से देश मॉरिशस में स्थापित विश्व हिंदी सचिवालय दुनिया में हिंदी के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलने वाली पहली कड़ी हैl 'हर महान परियोजना एक छोटे से विचार से जन्म लेती है' की अवधारणा को चरितार्थ करने वाला यह प्रयास आने वाले समय में हिंदी और शेष विश्व के मध्य प्रथम सेतु साबित होने जा रहा हैl 1976 में मॉरिशस में आयोजित द्वितीय विश्व हिंदी सम्मलेन में आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी के वर्त्तमान और भविष्य के बारे में प्रतीकात्मक ढंग से जो टिप्पणी की थी, आज वह कदम दर कदम हिंदी की बढ़ती प्रगति को देखकर अक्षरशः सत्य लगती है। उन्होंने कहा था- "'रवि मंडल देखत लघु लागा, उदय तासु त्रिभुवन तम भगा।' सूर्य का मंडल कितना छोटा सा, एक थाली जैसा उगता है, लेकिन जिस दिन सूर्य का मंडल उदित हो जाता है, उसी क्षण संसार का अंधकार दूर हो जाता है। हमारे सामने मॉरिशस का देखने में छोटा लेकिन अपार तेजस्वी रूप है। यह देखें हमारे सामने यह जो संसार को निश्चित रूप से नया संदेश दे रहा है और यही नया संदेश आगे चलकर कदाचित विश्व संस्कृति का एक आदर्श रूप बनेगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना (हिंदी) vishwahindi.com। अभिगमन तिथि: 09 अगस्त, 2018।
- ↑ विश्व हिंदी सचिवालय का सफरनामा (हिंदी) vishwahindi.com। अभिगमन तिथि: 09 अगस्त, 2018।
बाहरी कड़ियाँ
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