वृश्चिक संक्रांति (अंग्रेज़ी: Vrishchik Sankranti) हिन्दू धर्म में मान्य महत्त्वपूर्ण संक्रांतियों में से है। जब सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तब वृश्चिक संक्रांति मानी जाती है। इसे लोग काफी शुभ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन सूर्य भगवान की पूजा आदि करने से लोगों के दु:ख दूर हो जाते हैं। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति के सभी दु:खों और कष्टों का अंत हो जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन अन्न, वस्त्र आदि का दान करते हैं। इस दिन नदियों में स्नान को काफी पवित्र माना गया है।
क्या करें
- वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य और पितृ दोष समाप्त होता है।
- इस दिन दान पुण्य करना चाहिए। इस दिन गरीबों को वस्त्र आदि का भी दान करना चाहिए।
- इस संक्रांति को में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है जो इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
पित्रों का तर्पण
संक्रांति का यह शुभ दिन श्राद्ध और तर्पण करने के रूप में भी महत्वपूर्ण माना गया है, ऐसी मान्यता है कि पितरों का तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। जिसके कारण पितृदोष भी खत्म हो जाता है। ऋतु में बदलाव तथा जलवायु में कुछ प्रमुख परिवर्तन इनकी स्थिति के अनुरूप होता है। संक्रांति को इस दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वृश्चिक संक्रांति, जानिए इस दिन क्या करें (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 02 सितंबरaccessyear=2021, {{{accessyear}}}।
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