श्रीदेवी का फ़िल्मी कॅरियर

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श्रीदेवी का फ़िल्मी कॅरियर
श्रीदेवी
श्रीदेवी
प्रसिद्ध नाम श्रीदेवी
अन्य नाम श्रीअम्मा यंगर अयप्पन
जन्म 13 अगस्त, 1963
जन्म भूमि शिवकाशी, तमिलनाडु
अभिभावक पिता- अय्यपन, माता- राजेश्वरी
पति/पत्नी बोनी कपूर
संतान पुत्री- जाह्नवी कपूर, खुशी कपूर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'जूली', 'सोलवां सावन', 'सदमा', 'हिम्मतवाला', 'नगीना', 'मिस्टर इंडिया', 'निगाहें', 'चालबाज़', 'चांदनी', 'लाडला', 'इंग्लिश विंग्लिश'।
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री
प्रसिद्धि अभिनेत्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी श्रीदेवी ने मुख्यधारा के सिनेमा के अलावा कई आर्ट फ़िल्मों मे भी काम किया, जिसे भारत में पैरलल सिनेमा कहा जाता है।
अद्यतन‎

श्रीदेवी भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय और सुंदरता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत 4 वर्ष की उम्र से कर दी थी। उनके सबसे पहली फ़िल्म 'थुनविन' थी। उसके बाद उन्होंने कई मलयालम, तेलुगु, कन्नड़ फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने हिंदी सिनेमा की लगभग 250 से अधिक फ़िल्मों में काम किया है। हिंदी सिनेमा में फ़िल्म 'हिम्मतवाला' से श्रीदेवी ने अपनी विशेष पहचान बनाई।

शुरुआती कॅरियर

श्रीदेवी ने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत महज चार वर्ष की उम्र में बतौर बाल कलाकार की थी। उनकी पहली फ़िल्म बतौर बाल कलाकार 'थुनविन' थी। श्रीदेवी को मलयालम फ़िल्म 'पूमबत्ता' (1971) के लिए केरला स्टेट फ़िल्म अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने इस दौरान कई तमिल-तेलगु और मलायलम फ़िल्मों में काम किया, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था।

हिंदी सिनेमा

श्रीदेवी ने अपने वयस्क कॅरियर की शुरुआत साल 1979 में हिंदी फ़िल्म 'सोलवां सावन' से की थी। हालंकि उन्हें बॉलीवुड में पहचान 1983 में आई फ़िल्म 'हिम्मतवाला' से मिली। इस फ़िल्म में उनके अपोजिट जितेंद्र नज़र आये थे। यह फ़िल्म 1983 की ब्लॉकस्बस्टर फ़िल्म थी। इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्में जितेन्द्र के साथ की। उसके बाद उनकी फ़िल्म 'तोहफ़ा' आई जिसने उस दौर में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। वर्ष 1983 में फ़िल्म 'सदमा' में श्रीदेवी दक्षिण सिनेमा के अभिनेता कमल हासन के संग नज़र आईं। इस फ़िल्म में उनके अभिनय को देख आलोचक भी दंग रह गए। श्रीदेवी को फ़िल्म 'सदमा' के लिए पहली बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामंकन मिला था। साल 1986 में आई फ़िल्म नगीना, जिसमे श्रीदेवी ने एक इच्छाधारी नागिन की भूमिका अदा की थी। यह फ़िल्म उस साल की दूसरी सुपर-डुपर हिट फ़िल्म साबित हुई थी। उस दौरान श्रीदेवी की नगीना फ़िल्म सर्वश्रेष्ठ सांपो वाली फ़िल्मों में पहले स्थान पर थी। इसी फ़िल्म का गाना 'मै तेरी दुश्मन, दुश्मन तो मेरा' एक आइकॉनिक गाना माना जाता है। इसी साल उनकी दो और फ़िल्में रिलीज हुई। जिनमें सुभाष घई की मल्टी-स्टार फ़िल्म 'कर्मा' और फिरोज शाह की 'जांबाज' शामिल थी। दोनों ही फ़िल्मों में श्रीदेवी की गजब के अभिनय को दर्शक भी भौचक्के रह गए थे। साल 1987 में आई फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' में श्रीदेवी एक जर्नलिस्ट के किरदार में नज़र आई। जोकि एक उनका आइकॉनिक रोल माना जाता है। यह फ़िल्म साइंटिफिक थ्रिलर फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में उनके अपोजिट अनिल कपूर नज़र आये थे। फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' का गाना 'हवा-हवाई' आज भी दर्शकों के जुबान पर रहता है। उस दौर में श्रीदेवी और अनिल कपूर का रेन डांस सांग 'काटे नहीं कटते' आज भी बारिश के गानों में पहले नंबर पर है।

1989 में आई फ़िल्म 'चालबाज़' में श्रीदेवी दोहरी भूमिका में नज़र आई थीं। जोकि 80 के दशक की आइकोनिक फ़िल्मों में से एक है। इस फ़िल्म के लिए उन्हें आलोचकों से काफ़ी प्रशंसा मिली थी। श्रीदेवी को फ़िल्म 'चालबाज़' के लिए उन्हें उनके पहले फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 'चालबाज़' के बाद श्रीदेवी यशराज फ़िल्म्स की फ़िल्म 'चांदनी' में अभिनेता ऋषि कपूर के साथ नज़र आयीं थीं। इस फ़िल्म का गाना 'मेरे हाथों में नौ-नौं चूड़ियाँ है' आज भी वेडिंग सांग्स लिस्ट में सबसे ऊपर है। श्रीदेवी ने इस फ़िल्म के गाने 'चांदनी ओ मेरी चांदनी' गाने में अपनी आवाज़ दी थी। इसके बाद साल 1991 में श्रीदेवी एक बार फिर यशराज की फ़िल्म 'लम्हे' में दिखाई दीं। फ़िल्म लम्हे के लिए श्रीदेवी को उनका दूसरा फ़िल्म फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला था। 1993 में श्रीदेवी मेगास्टार अमिताभ बच्चन के अपोजिट नज़र आयीं थीं। उन्होंने इस फ़िल्म दो भूमिका अदा की थी। एक वॉरियर की दूसरी उसकी बेटी की। इस फ़िल्म की शूटिंग भारत के अलावा काबुल में भी हुई थी। फ़िल्म काबुल में उतनी ही लोकप्रिय साबित हुई जितनी भारत में। इस फ़िल्म में श्रीदेवी ने अपने अभिनय से सबकी तारीफें बटोरी। इसी साल श्रीदेवी उस दौर की सबसे बड़े बजट की फ़िल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' में अनिल कपूर संग नज़र आयीं। हालांकि फ़िल्म जितनी बड़े बजट की उतनी ही बुरी उसे बॉक्स ऑफिस पर मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद श्रीदेवी 'लाडला' और फ़िल्म 'जुदाई' में नज़र आई।

जब श्रीदेवी हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में आईं तो उन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती थी, उन दिनों उनकी डबिंग अभिनेत्री नाज़ किया करती थीं। श्रीदेवी के लिए अभिनेत्री रेखा ने भी 1986 की फ़िल्म 'आखिरी रास्ता' में डबिंग की थी। पहली बार हिंदी में उन्होंने अपनी 1989 की फ़िल्म 'चांदनी' में डबिंग की थी।

फ़िल्मों में वापसी

1996 में निर्देशक बोनी कपूर से शादी के बाद श्रीदेवी ने फ़िल्मी दुनिया से अपनी दूरी बना ली थी। लेकिन इस दौरान वह कई टीवी शोज में नज़र आईं। श्रीदेवी ने साल 2012 में गौरी शिंदे की फ़िल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' से रूपहले परदे पर अपनी वापसी की। हिन्दी सिनेमा से कई वर्षों तक दूर रहने के बाद भी फ़िल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' में श्रीदेवी ने बेहतरीन अभिनय से आलोचकों और दर्शकों को चौंका दिया था।

प्रसिद्ध फ़िल्म

श्रीदेवी की प्रमुख फ़िल्में इस प्रकार हैं- 'जूली', 'सोलवां सावन', 'सदमा', 'हिम्मतवाला', 'जाग उठा इंसान', 'अक्लमंद', 'इंक़लाब', 'तोहफ़ा', 'सरफ़रोश', 'बलिदान', 'नया कदम', 'नगीना', 'जुदाई', 'हल्ला बोल', 'इंग्लिश विंग्लिश'।

प्रतिभाशाली

श्रीदेवी ने अपने फ़िल्मी कॅरियर में कई अनगिनत फ़िल्में की। अपने कॅरियर के दौरान उन्होंने कई दमदार अभिनय किए और कई मजबूत महिला अभिनय को पर्दे पर बेहतरीन तरीक़े से पेश किया और मुख्यधारा के सिनेमा के अलावा उन्होंने कई आर्ट फ़िल्मों मे भी काम किया, जिसे भारत में पैरलल सिनेमा कहा जाता हैै। उन्हें तीन बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिल चुका है।



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