सागर फ़िल्म कम्पनी
सागर फ़िल्म कम्पनी (अंग्रेज़ी: Sagar Film Company) की स्थापना सन 1930 में चिमानलाल देसाई और अंबालाल पटेल ने मुंबई में की थी। इस फ़िल्म कम्पनी से भी कई मशहूर कलाकार जुड़े हुये थे। महबूब ख़ान, जिया सरहदी और रामचन्द्र ठाकुर के नाम मुख्य रूप से इसमें शामिल हैं। साहित्यकार के. एम. मुंशी भी इनमें से एक थे।
वृत्त चित्रों का निर्माण
सागर फ़िल्म कम्पनी ने जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर कई वृत्त चित्रों का निर्माण किया था। के. एम. मुंशी की कहानी पर आधारित फ़िल्म "डॉ. मधुरिका" बहुत चर्चित है। मधुरिका एक लेडी डॉक्टर जो अपने पेशे के प्रति समर्पित है और जो अपने जीवन में पारिवारिक दायित्वों से विमुख होकर समाज का आक्रोश सहते हुए अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती है। यह कहानी स्त्रीवादी दृष्टि से बहुत चर्चित हुई।[1]
स्टंट फ़िल्मों की शुरुआत
इसी कम्पनी के लिए महबूब ख़ान ने अपनी पहली फ़िल्म "अल हिलाल" (1935) में बनाई, जिसमें मुख्य भूमिका उस समय की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी ने निभाई थी। सागर फ़िल्म कम्पनी ने 1935 में भारत की पहली स्टंट फ़िल्म को पर्दे पर उतारा। सन 1935 में निर्मित "सिल्वर किंग" सफल तो नहीं हुई, लेकिन स्टंट फ़िल्मों का आरंभ अवश्य हुआ। 1936 में महबूब ख़ान ने इसी कम्पनी के लिए मशहूर स्टंट फ़िल्म "डेक्कन क्वीन" बनाई, जो कि उनके फ़िल्मी जीवन की एक मात्र स्टंट फ़िल्म थी। महबूब ख़ान को उनकी अगली फ़िल्म के लिए नायक "सुरेन्द्र" इसी फ़िल्म में मिले। महबूब ख़ान ने यहीं पर अपनी संगीत प्रधान फ़िल्म "अनमोल घड़ी" का निर्माण किया, जिसमें नूरजहाँ और सुरेन्द्र ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। फ़िल्म के गीत बहुत लोकप्रिय हुए थे।
नेशनल पिक्चर्स
महबूब ख़ान की एक और फ़िल्म "जागीरदार" का निर्माण भी सागर फ़िल्म कम्पनी में हुआ था। सन 1939 में यह कम्पनी मुसीबतों में घिर गई और इसे बंद करके "नेशनल पिक्चर्स" के नाम से एक नए रूप में इसे शुरू किया गया। महबूब ख़ान की क्लासिक फ़िल्म "औरत" सागर फ़िल्म कम्पनी की अंतिम फ़िल्म थी, जो सन 1939 में बनी। इसे नेशनल पिक्चर्स ने सन 1940 में रिलीज़ किया। महबूब ख़ान की "औरत" वही फ़िल्म है, जिसे उन्होंने दुबारा सत्रह वर्षों बाद सन 1957 में अपने बैनर तले "मदर इंडिया" के नाम से बनाया, जिसमें नरगिस ने अपनी अभिनय कला से सारे विश्व का दिल जीत लिया। "मदर इंडिया" को 'ऑस्कर एवार्ड' के लिए भी नामांकित किया गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका (हिंदी) sahityakunj.net। अभिगमन तिथि: 01 जुलाई, 2017।