माधव राष्ट्रीय उद्यान

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माधव राष्ट्रीय उद्यान
माधव राष्ट्रीय उद्यान
माधव राष्ट्रीय उद्यान
विवरण 'माधव राष्ट्रीय उद्यान' मध्य प्रदेश के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह शिवपुरी के उत्तर में स्थित है और पर्यटकों के लिए वर्ष भर खुला रहता है।
राज्य मध्य प्रदेश
स्थापना 1958
हवाई अड्डा ग्वालियर
रेलवे स्टेशन झांसी
बस अड्डा शिवपुरी और झांसी
संबंधित लेख मध्य प्रदेश, शिवपुरी, माधवराव सिंधिया क्षेत्रफल 354.61 वर्ग कि.मी.
अन्य जानकारी उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ हिरण की हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1972 के 'वन्‍य जीवन संरक्षण अधिनियम' के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह शिवपुरी के उत्तर में स्थित है। उद्यान पर्यटकों के लिए वर्ष भर खुला रहता है। यहाँ कई प्रकार की पहाडियाँ, सूखे, मिश्रित और पतझड़ी वन और घास के बड़े मैदान झील के आस-पास हैं, जो अनेक प्रकार के वन्‍य जीवों का दृश्‍य उपलब्‍ध कराते हैं। अधिकांश जानवरों को बड़े आराम से इस उद्यान में घूमते हुए देखा जा सकता है, जैसे- छोटे चिंकारा, भारतीय गेजल और चीतल आदि।

स्थापना तथा विस्तार

'माधव राष्ट्रीय उद्यान' की स्थापना वर्ष 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी। यह उद्यान मूल रूप से ग्वालियर के महाराजा के लिए शाही शिकार का अभयारण्य था। इस उद्यान का कुल क्षेत्रफल 354.61 वर्ग कि.मी. है। ग्वालियर के माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए सख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था, जो आज अन्य झरनों और नालों के साथ उद्यान के इकलौते बड़े जल निकाय हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1972 के 'वन्‍य जीवन संरक्षण अधिनियम' के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है। यहाँ की ऊंचाई 360-480 मीटर के आस-पास है।

जीव-जंतु

इस उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ हिरण की हैं, जिसमें से अधिकांश जानवरों को बड़े आराम से घूमते देखा जा सकता है, जैसे- छोटे चिंकारा, भारतीय गेजल और चीतल। उद्यान में पाई जाने वाली अन्‍य प्रजातियाँ हैं-

नील गाय, सांभर, चौंसिंघा या चार सींग वाला एंटीलॉप, ब्‍लैक बक, स्‍लॉथ बीयर, चीते और सभी जगह पाए जाने वाले लंगूर। यहाँ कभी-कभी पेंथेरा ट्राइग्रिस, चीते, पेंथेरा पारडस, पट्टीदार हाइना, भेडिए (केनिस ओरियस) जंगली बिल्‍ली (फेलिस चौस), चीतल (एक्‍सिस एक्सिस), सांभर (सर्वस यूनिकलर), नील गाय, बोसेलेफस, ट्रेगोकेमेलस, चार सींग वाला एंटीलॉप, टेट्रासेरस क्‍वाड्रीकोर्निस, जंगली सुअर, सुस स्‍क्रोफा, चिंकारा (पर्वतीय गजेल), गजेला और घडियाल आदि भी पाये जाते हैं।

कैसे पहुँचें

ग्वालियर यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा है, जबकि झांसी निकटतम रेल स्टेशन है। यह उद्यान आगरा-मुंबई (राष्ट्रीय राजमार्ग-3) और शिवपुरी-झांसी (राष्ट्रीय राजमार्ग-25) पर स्थित है, जिस कारण शिवपुरी और झांसी से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग इस उद्यान से ही गुजरते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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