हेनरी विलियम डेरेजिओ (1809-1831 ई.) एक एंग्लो-इण्डियन थे। इन्होंने ही 'यंग बंगाल आन्दोलन' की स्थापना की थी। इस आन्दोलन की स्थापना इनके द्वारा 1828 ई. में की गई थी। डेरेजियो 'हिन्दू कॉलेज' में अध्यापक के पद नियुक्त थे। इनके आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य प्रेस की स्वतन्त्रता, ज़मींदारों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से रैय्यत की संरक्षा, सरकारी नौकरियों में ऊँचे वेतनमान के अन्तर्गत भारतीय लोगों को नौकरी दिलवाना था।
उदार व्यक्तित्व
डेरेजियो फ़्राँस की महान् क्रांति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपने शिष्यों एवं अनुयायियों को स्वतन्त्र विवेक से सोचने, मुक्ति, समानता तथा स्वतन्त्रता से प्रेम करने एवं सत्य की पूजा करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने आत्मा के विस्तार एवं समाज सुधार हेतु ‘एकेडेमिक एसोसिएशन’ एवं ‘सोसायटी फ़ॉर द एक्वीजीशन ऑफ़ जनरल नॉलेज’ की स्थापना की। इसके अलावा डेरोजियो ने ‘एंग्लो-इंडियन हिन्दू एसोसिएशन’, 'बंगहित सभा' व ‘डिबेटिंग क्लब’ का भी गठन किया।
पत्र सम्पादन
'बंगाल आंदोलन' के समर्थक लोग पाश्चात्य सभ्यता से अधिक प्रभावित थे। तत्कालीन भारत के कट्टर हिन्दुओं ने डेरेजियों के विचारों का विरोध किया। डेरेजियों ने ‘ईस्ट इंडिया’ नामक दैनिक पत्र का भी संपादन किया। उनके प्रमुख शिष्य थे-
- कृष्णमोहन बनर्जी
- रामगोपाल घोष
- महेशचन्द्र घोष
हेनरी विलियम डेरेजियो को 'आधुनिक भारत' का प्रथम राष्ट्रवादी कवि माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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