स्वर्ण | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पीली धातु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
साधारण गुणधर्म | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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नाम, प्रतीक, संख्या | स्वर्ण, Au, 79 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
तत्व श्रेणी | संक्रमण धातु | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
समूह, आवर्त, कक्षा | 11, 6, d | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मानक परमाणु भार | 196.966569g·mol−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इलेक्ट्रॉन विन्यास | 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6 3d10, 4s2 4p6 4d10 4f14, 5s2 5p6 5d10, 6s1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल | 2, 8, 18, 32, 18, 1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भौतिक गुणधर्म | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अवस्था | ठोस | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
घनत्व (निकट क.ता.) | 19.30 g·cm−3 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
तरल घनत्व (गलनांक पर) |
17.31 g·cm−3 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गलनांक | 1337.33 K, 1064.18 °C, 1947.52 °F | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
क्वथनांक | 3129 K, 2856 °C, 5173 °F | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संलयन ऊष्मा | 12.55 किलो जूल-मोल | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वाष्पन ऊष्मा | 324 किलो जूल-मोल | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विशिष्ट ऊष्मीय क्षमता |
25.418
जूल-मोल−1किलो−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वाष्प दाब | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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परमाण्विक गुणधर्म | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ऑक्सीकरण अवस्था | -1, 1, 2, 3, 4, 5 एम्फोटेरिक ऑक्साइड | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी | 2.54 (पाइलिंग पैमाना) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आयनीकरण ऊर्जाएँ | 1st: 890.1 कि.जूल•मोल−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2nd: 1980 कि.जूल•मोल−1 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
परमाण्विक त्रिज्या | 144 pm | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सहसंयोजक त्रिज्या | 136±6 pm | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वैन्डैर वाल्स त्रिज्या | 166 pm | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विविध गुणधर्म | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वैद्युत प्रतिरोधकता | (20 °C) 22.14 nΩ·m | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ऊष्मीय चालकता | (300 K) 318 W·m−1·K−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ऊष्मीय प्रसार | (25 °C) 14.2 µm·m−1·K−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ध्वनि चाल (पतली छड़ में) | (r.t.) 2030 m·s−1 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
तनाव पुष्टि | 120 MPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
यंग मापांक | 79 GPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अपरूपण मापांक | 27 GPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
स्थूल मापांक | 180 GPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पॉयज़न अनुपात | 0.44 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मोह्स कठोरता मापांक | 2.5 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विकर्स कठोरता | 216 MPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ब्राइनल कठोरता | 25 HB MPa | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सी.ए.एस पंजीकरण संख्या |
7440-57-5 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
समस्थानिक | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्वर्ण (अंग्रेज़ी:Gold) का प्रतीकानुसार 'Au' तथा परमाणु संख्या 79 होती है। स्वर्ण का परमाणु भार 197 होता है। स्वर्ण का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6 3d10, 4s2 4p6 4d10 4f14, 5s2 5p6 5d10, 6s1 है। सोने की गणना बहुमूल्य धातुओं में की जाती है एवं इसका उपयोग अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान के रूप में तथा आभूषणों के निर्माण में किया जाता है। यह कभी भी शुद्ध रूप में नहीं मिलता है, वरन् इसमें चांदी, एवं अन्य धातुओं के अंश मिले रहते हैं। यह आग्नेय एवं कायान्तरित चट्टानों में नसों के रूप में पाया जाता है।
निष्कर्षण
स्वर्ण का निष्कर्षण मुख्यतः केलावेराइट और सिल्वेनाइट अयस्क से किया जाता है।
भौतिक गुण
- स्वर्ण एक कोमल, आघातवर्ध्य, तन्य चमकदार पीले रंग की धातु है। स्वर्ण सबसे आघातवद्धर्य धातु है।
- स्वर्ण ऊष्मा और विद्युत का सुचालक होती है।
- स्वर्ण एक भारी धातु है, जिसका द्रवणांक (गलनांक), क्वथनांक तथा विशिष्ट घनत्त्व क्रमशः 1063° C, 2600° C तथा 19.3 होता है।
रासायनिक गुण
स्वर्ण वायु से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। पोटैशियम सायनाइड या सोडियम सायनाइड में घुलकर यह पोटैशिय औरोसायनाइड या सोडियम औरोसायनाइड बनाता है। स्वर्ण क्षार के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। स्वर्ण अम्लराज में घुलकर क्लोरोऑरिक अम्ल बनाता है।
उपयोग
- आभूषणों के निर्माण में
- सिक्कों के निर्माण में
- स्वर्ण के लवण फ़ोटोग्राफ़ी में काम आते हैं।
- विद्युत लेपन तथा स्वर्ण पत्र चढ़ाने में
- कोलायडी स्वर्ण काँच एवं चीनी उद्योग में प्रयुक्त होता है।
- स्वर्ण के वर्क/पतली पन्नी छपाई तथा औषधियों में प्रयोग किये जाते हैं।
स्वर्ण की शुद्धता
स्वर्ण की शुद्धता कैरेट में व्यक्त की जाती है। 100% शुद्ध स्वर्ण 24 कैरेट का होता है। 22 कैरेट स्वर्ण में 22 भाग स्वर्ण तथा शेष दो भाग ताँबा होता है। इसी प्रकार 20 कैरेट स्वर्ण में 20 भाग स्वर्ण तथा 4 भाग कॉपर (ताँबा) मिला होता है।
सोने के यौगिक
- ऑरिक क्लोराइड: स्वर्ण का उपयोग सर्प विषरोधी सूई बनाने में होता है।
- रोल्ड-गोल्ड: इसे स्वर्ण का कृत्रिम रूप कहा जाता है। यह 90% Cu तथा 10-%Al का मिश्रण होता है, जो देखने में स्वर्ण सदृश लगता है। सोने का उपयोग सस्ते आभूषणों के निर्माण में होता है।
- आयरन पायराइट्स: इसे झूठा स्वर्ण या बेवकूफों का स्वर्ण भी कहते हैं।
प्राप्ति स्थान
प्रकृति में स्वर्ण मुक्त अवस्था और संयुक्त अवस्था दोनों में पाया जाता है। यह प्रायः क्वार्ट्ज के रूप में पाया जाता है। विश्व में स्वर्ण मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, रूस एवं आस्ट्रेलिया में पाया जाता है। संसार के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 2% भारत में उत्पादित होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता वाला देश है।
भारत में सोने की बहुत कम मात्रा की प्राप्ति होती है जिसके कारण इसकी माँग एवं मूल्य दोनों ही अधिक है। भारत में 66.7 टन स्वर्ण धातु के साथ स्वर्ण खनिज का अनुमानित भंडार 176.9 लाख टन है। भारत के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 98 प्रतिशत भाग अकेले कर्नाटक राज्य की कोलार तथा हट्टी की स्वर्ण खानों से प्राप्त किया जाता है। कोलार क्षेत्र की अन्य प्रसिद्ध खानें हैं- मैसूर खान, ओरोगाम खान, नन्दीदुर्ग खान तथा चैम्पियन खान। यहाँ पर सोना 2,250 से 3,100 मी. की गहराई तक पाया जाता है। कर्नाटक के धारवाड़, चित्रदुर्ग, बेलारी, शिमोगा तथा गुलबर्पा ज़िलों में भी कुछ सोना पाया जाता है।
इसके अतिरिक्त स्वर्ण उत्खनन करने वाले अन्य राज्य हैं - आन्ध्र प्रदेश[1], तमिलनाडु[2], झारखण्ड[3], उड़ीसा[4], केरल[5] आदि। भारत की नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी जलोढ़ मिट्टी के साथ भी कुछ मात्रा में सोने की प्राप्ति होती है। 2005-2006 के दौरान में कुल 3048 किग्रा. सोना का उत्पादन हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
आवर्त सारणी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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