"वैश्वानर व्रत": अवतरणों में अंतर
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*[[होम]] के लिए घृतमिश्रित अन्न, [[घृत]] धारा, [[समिधा]] आदि होने चाहिए।<ref> हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1,354-355, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण | *[[होम]] के लिए घृतमिश्रित अन्न, [[घृत]] धारा, [[समिधा]] आदि होने चाहिए।<ref> हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1,354-355, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण</ref> | ||
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*यह व्रत पापमोचन के लिए है; ऋतुव्रत है। <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 447); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 360, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण | *यह व्रत पापमोचन के लिए है; ऋतुव्रत है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 447); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 360, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण</ref> | ||
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12:35, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- प्रथम तिथि को अग्नि पूजा तथा अग्नि में घी एवं सभी प्रकार के अन्न का होम करना चाहिए।
- प्रथम तिथि के स्वामी अग्नि को एक कमल के मध्य में बनाना चाहिए।
- वैश्वानर व्रत का प्रमुख मंत्र है 'ओम् अग्नये नम:'(पूजा में) तथा 'ओम् अग्नये स्वाहा' (होम में)।
- होम के लिए घृतमिश्रित अन्न, घृत धारा, समिधा आदि होने चाहिए।[1]
- वर्षा ऋतु से आरम्भ कर चारों ऋतुओं में ब्राह्मण को समिधा का दान तथा अन्त में घृतधेनु का दान करना चाहिए।
- यह व्रत पापमोचन के लिए है; ऋतुव्रत है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1,354-355, भविष्य पुराण से उद्धरण
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 447); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 360, पद्म पुराण से उद्धरण
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