"गुयानी हिन्दी": अवतरणों में अंतर
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08:53, 14 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
- गुयाना में 1870 में भारतीय आए थे जिनमें अधिकांश भोजपुरी - भाषी थे।
- 1980 तक यहाँ भोजपुरी ही चली।
- बाद में भारत से सम्पर्क के बाद मानक हिन्दी का प्रचार हुआ।
- यहाँ की हिन्दी भोजपुरी तथा अंग्रेज़ी से काफ़ी प्रभावित है।
- यहाँ की भाषा को 'टूटल भाषा' कहा जाता रहा है। 'टूटल' भोजपुरी कृदंती विशेषण है जिसका अर्थ है 'टूटी हुई'।
- यहाँ के अशिक्षित अब भी अपनी भाषा के रूप में भोजपुरी बोलते हैं, तथा शिक्षित लोग हिन्दी।
- यहाँ से पहले 'आग्रोसी' पत्र निकलता था जिसमें अंग्रेज़ी के अतिरिक्त हिन्दी पृष्ठ भी होता था। अब 'अमर ज्योति' और 'ज्ञानदा' पत्रिकाएँ निकलती हैं।
- यहाँ के हिन्दी साहित्यकारों में महातम सिंह तथा गोकरन शर्मा आदि मुख्य हैं।
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