"ठाकुरदास भार्गव": अवतरणों में अंतर
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1946 में [[कांग्रेस]] सदस्य के रूप में ठाकुरदास भार्गव ने फिर से केन्द्रीय असेम्बली में प्रवेश किया। वे संविधान सभा के भी सदस्य बने। 1952, 1957 और 1962 में वे फिर पंजाब से लोकसभा के सदस्य चुने गए। ठाकुरदास भार्गव बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। वे मानव-मात्र की एकता में विश्वास करते थे और महिलाओं को समान अधिकार देने के पक्षपाती थे। हरिजन उत्थान के कार्यों में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया था। | 1946 में [[कांग्रेस]] सदस्य के रूप में ठाकुरदास भार्गव ने फिर से केन्द्रीय असेम्बली में प्रवेश किया। वे संविधान सभा के भी सदस्य बने। 1952, 1957 और 1962 में वे फिर पंजाब से [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गए। ठाकुरदास भार्गव बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। वे मानव-मात्र की एकता में विश्वास करते थे और महिलाओं को समान अधिकार देने के पक्षपाती थे। हरिजन उत्थान के कार्यों में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया था। | ||
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ठाकुरदास भार्गव पंजाब के पहले मुख्यमंत्री 'डॉ. गोपीचंद भार्गव' के बड़े भाई थे। इनका जन्म 1886 ई. में हरियाणा के रेवाड़ी नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने क़ानून की डिग्री प्राप्त की थी। ठाकुरदास भार्गव सदैव ही महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किये जाने के पक्ष में थे। उन्हें पंजाब से लोकसभा का सदस्य भी चुना गया था।
राजनीति में प्रवेश
देश के विभाजन के बाद ठाकुरदास भार्गव के छोट भाई डॉ. गोपीचंद भार्गव पंजाब के पहले मुख्यमंत्री बनाये गए थे। इन्होंने क़ानून की शिक्षा पूरी करने के बाद पहले दिल्ली में और फिर बाद में हिसार में वकालत शुरू की। साथ ही वे सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेते रहे। एक समाजसेवी के रूप में कार्य करते हुए उनका राजनीति में भी पदार्पण हो गया। पंडित मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय आदि ने ‘नेशनलिस्ट पार्टी’ का गठन किया था। उसकी ओर से ठाकुरदास भार्गव 1926 में केन्द्रीय असेम्बली के सदस्य चुने गए थे।
उदार व्यक्तित्व
1946 में कांग्रेस सदस्य के रूप में ठाकुरदास भार्गव ने फिर से केन्द्रीय असेम्बली में प्रवेश किया। वे संविधान सभा के भी सदस्य बने। 1952, 1957 और 1962 में वे फिर पंजाब से लोकसभा के सदस्य चुने गए। ठाकुरदास भार्गव बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। वे मानव-मात्र की एकता में विश्वास करते थे और महिलाओं को समान अधिकार देने के पक्षपाती थे। हरिजन उत्थान के कार्यों में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया था।
निधन
ठाकुरदास भार्गव का निधन 1962 ई. में हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 349 |
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