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'''देवयानी''' [[दैत्य|दैत्यों]] के [[गुरु]] [[शुक्राचार्य]] की कन्या थी। वह [[बृहस्पति ऋषि]] के पुत्र [[कच देवयानी|कच]] के रूप और गुणों की दिव्य छटा देखकर उस पर मुग्ध हो गयी थी और उसे [[हृदय]] से प्यार करने थी। | '''देवयानी''' [[दैत्य|दैत्यों]] के [[गुरु]] [[शुक्राचार्य]] की कन्या थी। वह [[बृहस्पति ऋषि]] के पुत्र [[कच देवयानी|कच]] के रूप और गुणों की दिव्य छटा देखकर उस पर मुग्ध हो गयी थी और उसे [[हृदय]] से प्यार करने थी। | ||
09:34, 28 मई 2012 के समय का अवतरण
देवयानी | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- देवयानी (बहुविकल्पी) |
देवयानी दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की कन्या थी। वह बृहस्पति ऋषि के पुत्र कच के रूप और गुणों की दिव्य छटा देखकर उस पर मुग्ध हो गयी थी और उसे हृदय से प्यार करने थी।
इन्हें भी देखें: कच देवयानी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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