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'''अनंगवती''' एक वेश्या का नाम था, जिसने '[[विभूति द्वादशी]]' व्रत करके अपने दूसरे जन्म में [[कामदेव]] की पत्नी का स्थान प्राप्त किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणाप्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=19|url=}}</ref> इसका नाम 'प्रीति' पड़ा और यह रति की सौत बनी।<ref>[[मत्स्यपुराण]] 100.18.32</ref> | '''अनंगवती''' एक वेश्या का नाम था, जिसने '[[विभूति द्वादशी]]' व्रत करके अपने दूसरे जन्म में [[कामदेव]] की पत्नी का स्थान प्राप्त किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणाप्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=19|url=}}</ref> इसका नाम 'प्रीति' पड़ा और यह [[रति]] की सौत बनी।<ref>[[मत्स्यपुराण]] 100.18.32</ref> | ||
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10:57, 25 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण
अनंगवती एक वेश्या का नाम था, जिसने 'विभूति द्वादशी' व्रत करके अपने दूसरे जन्म में कामदेव की पत्नी का स्थान प्राप्त किया था।[1] इसका नाम 'प्रीति' पड़ा और यह रति की सौत बनी।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 19 |
- ↑ मत्स्यपुराण 100.18.32