"कूका विद्रोह": अवतरणों में अंतर
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*इस दल का मुख्यालय 'हजारा' में हुआ करता था। | *इस दल का मुख्यालय 'हजारा' में हुआ करता था। | ||
*इस विद्रोह के विरुद्ध अपनी दमनकारियों नीतियों को अपनाते हुये अंग्रेज़ों ने 1872 ई. में इसके एक नेता 'रामसिंह' को [[ | *इस विद्रोह के विरुद्ध अपनी दमनकारियों नीतियों को अपनाते हुये अंग्रेज़ों ने 1872 ई. में इसके एक नेता 'रामसिंह' को रंगून (अब [[यांगून]]) निर्वासित कर दिया और आन्दोलन पर नियन्त्रण पा लिया गया। | ||
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07:42, 22 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
- कूका विद्रोह की शुरुआत पंजाब में 1860-1870 ई. में हुई थी।
- वहाबी विद्रोह की भाँति 'कूका विद्रोह' का भी आरम्भिक स्वरूप धार्मिक था, किन्तु बाद में यह राजनीतिक विद्रोह के रूप में परिवर्तित हो गया।
- इसका सामान्य उद्देश्य अंग्रेज़ों को देश से बाहर निकालना था।
- पश्चिमी पंजाब में 'कूका विद्रोह' की शुरुआत लगभग 1840 ई. में 'भगत जवाहर मल' द्वारा की गयी थी।
- भगत जवाहर मल को 'सियान साहब' के नाम से भी जाना जाता था।
- प्रारम्भ में इस विद्रोह का उद्देश्य सिक्ख धर्म में प्रचलित बुराईयों को दूर कर इसे शुद्ध करना था।
- सियान साहब ने अपने शिष्य 'बालक सिंह' के साथ मिलकर अपने अनुयायियों का एक दल गठित किया।
- इस दल का मुख्यालय 'हजारा' में हुआ करता था।
- इस विद्रोह के विरुद्ध अपनी दमनकारियों नीतियों को अपनाते हुये अंग्रेज़ों ने 1872 ई. में इसके एक नेता 'रामसिंह' को रंगून (अब यांगून) निर्वासित कर दिया और आन्दोलन पर नियन्त्रण पा लिया गया।
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