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समय की रवानी,
समय की रवानी,
फतह की कहानी,
फ़तह की कहानी,
धरा स्वाभिमानी,
धरा स्वाभिमानी,
-जवानी से है।
-जवानी से है।

14:33, 14 मई 2013 के समय का अवतरण

सद्भावना गीत -अशोक चक्रधर
खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
कवि अशोक चक्रधर
प्रकाशक डायमण्ड पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली
देश भारत
पृष्ठ: 173
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


गूंजे गगन में,
महके पवन में
हर एक मन में
-सद्भावना।

मौसम की बाहें,
दिशा और राहें,
सब हमसे चाहें
-सद्भावना।

घर की हिफ़ाज़त
पड़ौसी की चाहत,
हरेक दिल को राहत,
-तभी तो मिले,

हटे सब अंधेरा,
ये कुहरा घनेरा,
समुज्जवल सवेरा
-तभी तो मिले,

जब हर हृदय में
पराजय-विजय में
सद्भाव लय में
-हो साधना।
गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में
-सद्भावना।

समय की रवानी,
फ़तह की कहानी,
धरा स्वाभिमानी,
-जवानी से है।

गरिमा का पानी,
ये गौरव निशानी,
सूखी ज़िंदगानी,
-जवानी से है।

मधुर बोल बोले,
युवामन की हो ले,
मिलन द्वार खोले,
-संभावना।

गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में
-सद्भावना।

हमें जिसने बख़्शा,
भविष्यत् का नक्शा,
समय को सुरक्षा
-उसी से मिली।

ज़रा कम न होती,
कभी जो न सोती,
दिये की ये जोती,
-उसी से मिली।

नफ़रत थमेगी,
मुहब्बत रमेगी,
ये धरती बनेगी,
-दिव्यांगना।

गूंजे गगन में,
महके पवन में,
हर एक मन में
-सद्भावना।

मौसम की बाहें,
दिशा और राहें,
सब हमसे चाहें,
-सद्भावना।

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