"निरंजन धन तुम्हरो दरबार -कबीर": अवतरणों में अंतर
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रंगमहल में बसें मसखरे, पास तेरे सरदार । | रंगमहल में बसें मसखरे, पास तेरे सरदार । | ||
धूर-धूप में साधो विराजें, होये भवनिधि पार ।। | धूर-धूप में साधो विराजें, होये भवनिधि पार ।। | ||
वेश्या ओढे़ | वेश्या ओढे़ ख़ासा मखमल, गल मोतिन का हार । | ||
पतिव्रता को मिले न खादी सूखा ग्रास अहार ।। | पतिव्रता को मिले न खादी सूखा ग्रास अहार ।। | ||
पाखंडी को जग में आदर, सन्त को कहें लबार । | पाखंडी को जग में आदर, सन्त को कहें लबार । | ||
अज्ञानी को परम ब्रहम ज्ञानी को मूढ़ गंवार ।। | अज्ञानी को परम ब्रहम ज्ञानी को मूढ़ गंवार ।। | ||
साँच कहे जग मारन धावे, झूठन को इतबार । | साँच कहे जग मारन धावे, झूठन को इतबार । | ||
कहत कबीर | कहत कबीर फ़कीर पुकारी, जग उल्टा व्यवहार ।। | ||
निरंजन धन तुम्हरो दरबार । | निरंजन धन तुम्हरो दरबार । | ||
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10:41, 17 मई 2013 के समय का अवतरण
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निरंजन धन तुम्हरो दरबार । |
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