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'''भारत का संविधान (53वाँ संशोधन) अधिनियम,1986''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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*इसके लिए नया अनुच्छेद 371-G संविधान में जोड़ा गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मिजो लोगों के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों, परंपरागत क़ानून और विधि के संबंध में संसद द्वारा क़ानून बनाने की मनाही दीवानी तथा | *इसके लिए नया अनुच्छेद 371-G संविधान में जोड़ा गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मिजो लोगों के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों, परंपरागत क़ानून और विधि के संबंध में संसद द्वारा क़ानून बनाने की मनाही दीवानी तथा फ़ौजदारी संबंधी मामलों, जिन पर मिजो लोगों के परंपरागत क़ानून के अनुसार निर्णय लिया जाता है तथा ज़मीन के स्वामित्व और हस्तांतरण के बारे में भी तब तक संसदीय क़ानून लागू नहीं होगा जब तक मिजोरम की विधानसभा इसे मंजूरी नहीं दे देती। लेकिन यह धारा मिजोरम राज्य में संशोधन के जारी होने से पहले से लागू होने वाले केंद्रीय क़ानूनों पर लागू नहीं होगी। | ||
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10:57, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
संविधान संशोधन- 53वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
53वाँ संशोधन | 1986 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (53वाँ संशोधन) अधिनियम, 1986
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- यह भारत सरकार और मिजोरम सरकार द्वारा मिजोरम नेशनल फ्रंट के साथ 30 जून 1986 को हुए मिजोरम समझौते को लागू करने के लिए बनाया गया है।
- इसके लिए नया अनुच्छेद 371-G संविधान में जोड़ा गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा, मिजो लोगों के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों, परंपरागत क़ानून और विधि के संबंध में संसद द्वारा क़ानून बनाने की मनाही दीवानी तथा फ़ौजदारी संबंधी मामलों, जिन पर मिजो लोगों के परंपरागत क़ानून के अनुसार निर्णय लिया जाता है तथा ज़मीन के स्वामित्व और हस्तांतरण के बारे में भी तब तक संसदीय क़ानून लागू नहीं होगा जब तक मिजोरम की विधानसभा इसे मंजूरी नहीं दे देती। लेकिन यह धारा मिजोरम राज्य में संशोधन के जारी होने से पहले से लागू होने वाले केंद्रीय क़ानूनों पर लागू नहीं होगी।
- नई धारा में यह भी व्यवस्था है कि मिजोरम विधानसभा में कम-से-कम 40 सदस्य होंगे।
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