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'''संविधान (59वाँ संशोधन) अधिनियम,1988''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''संविधान (59वाँ संशोधन) अधिनियम, 1988''' | |||
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11:02, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
संविधान संशोधन- 59वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
59वाँ संशोधन | 1988 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
संविधान (59वाँ संशोधन) अधिनियम, 1988
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 356 (5) का संशोधन किया गया, जिससे कि अनुच्छेद 356 के खंड़ (1) के अधीन राष्ट्रपति की उद्घोषणा का एक की अवधि से आगे विस्तार किया जा सके और यदि आवश्यक हो तो पंजाब राज्य में अशांति की स्थिति बनी रहने के कारण अनुच्छेद 356 के खड़ (4) के अधीन यथा अनुज्ञेय तीन वर्ष की अवधि तक प्रभावी बनाया जा सके।
- इस अधिनियम द्वारा आपात स्थिति की उद्घोषणा से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 352 का, पंजाब राज्य में इसे लागू किए जाने की बाबत संशोधन किए जाने के परिणामस्वरूप, अनुच्छेद 358 और अनुच्छेद 359 का भी संशोधन किया गया है।
- पंजाब राज्य के संबंध में अनुच्छेद 352, 358 और 359 के संशोधन की तारीख 30 मार्च 1988 से जो इस संशोधन के प्रारंभ की तारीख है, दो वर्ष की अवधि के लिए ही प्रवर्तनीय रहेंगे।
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