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'''भारत का संविधान (65वाँ संशोधन) अधिनियम,1990''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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11:06, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
संविधान संशोधन- 65वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
65वाँ संशोधन | 1990 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (65वाँ संशोधन) अधिनियम, 1990
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- संविधान के अनुच्छेद 338 में एक विशेष अधिकारी का प्रावधान है, जो संविधान के तहत अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हितों से संबंधित मामलों की जाँच करेगा और इस संबंध में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजेगा। यह अनुच्छेद संशोधित कर दिया गया है। जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजेगा।
- यह अनुच्छेद संशोधित कर दिया गया है।
- जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है, जिसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्याक्ष तथा पाँच अन्य सदस्य होंगे, जिन्हें राष्ट्रपति अपनी मुहर से नियुक्त करेंगे।
- संशोधित अनुच्छेद में आयोग के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है और उसके उन कदमों के बारे में भी बताया गया है, जो उसे केंद्र अथवा राज्य सरकार को कमीशन की रिपोर्ट के प्रभावी कार्यांवयन के लिए उठाने होंगे।
- इसमें यह भी व्यवस्था की गई है कि आयोग के पास शिकायत पर की जाने वाली जाँच के दौरान वे सभी अधिकार होंगे, जो कि एक न्यायिक अदालत को होते हैं और आयोग की रिपोर्ट संसद और राज्य विधानसभाओं के समक्ष रखी जाएगी।
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