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*[[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद ज़िला|ज़िला इलाहाबाद]] के अंतर्गत करछना तहसील के गढ़वा ग्राम से गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुये हैं।
'''गढ़वा''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद ज़िला|ज़िला इलाहाबाद]] के अंतर्गत करछना तहसील के अंतर्गत आता है। इस प्राचीन ऐतिहासिक स्थान से गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण [[अभिलेख]] प्राप्त हुये हैं।
*यहाँ से चार स्वतंत्र लेख प्राप्त हुये है। ये सभी गुप्तकालीन लेख है।
*इनमें एक [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के और दो कुमारगुप्त प्रथम काल के है। चौथा सम्भवतः [[स्कन्दगुप्त]] के काल का है।
*इन अभिलेखों में प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
*इन सब लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि गुप्तकाल में वहाँ कोई वैष्णव संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है। कि जो उच्चित्र फ़सल यहाँ से प्राप्त हुये हैं। वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।
*गढ़वा की कला में गुप्तकालीन कला की सुकुमारता के साथ भरहुत कला का भारीपन भी देखा जा सकता है।


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*इस ऐतिहासिक स्थान से चार स्वतंत्र लेख प्राप्त हुये है। ये सभी गुप्तकालीन हैं।
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*अभिलेखों में प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
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*सभी लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि [[गुप्त काल]] में वहाँ कोई [[वैष्णव]] संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि जो उच्चित्र फ़सल यहाँ से प्राप्त हुये हैं, वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।
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11:24, 1 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

गढ़वा उत्तर प्रदेश के ज़िला इलाहाबाद के अंतर्गत करछना तहसील के अंतर्गत आता है। इस प्राचीन ऐतिहासिक स्थान से गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुये हैं।

  • इस ऐतिहासिक स्थान से चार स्वतंत्र लेख प्राप्त हुये है। ये सभी गुप्तकालीन हैं।
  • गढ़वा से प्राप्त अभिलेखों में एक चन्द्रगुप्त द्वितीय का और दो कुमारगुप्त प्रथम के काल के है। चौथा लेख सम्भवतः स्कन्दगुप्त के काल का है।
  • अभिलेखों में प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
  • सभी लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि गुप्त काल में वहाँ कोई वैष्णव संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि जो उच्चित्र फ़सल यहाँ से प्राप्त हुये हैं, वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।
  • गढ़वा की कला में गुप्तकालीन कला की सुकुमारता के साथ भरहुत कला का भारीपन भी देखा जा सकता है।


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