"रोटियाँ -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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जब आदमी के पेट में आती हैं रोटियाँ । | जब आदमी के पेट में आती हैं रोटियाँ । | ||
फूली | फूली नहीं बदन में समाती हैं रोटियाँ ।। | ||
आँखें परीरुख़ों<ref>परियों जैसी शक्ल सूरत वाली</ref> से लड़ाती हैं रोटियाँ । | आँखें परीरुख़ों<ref>परियों जैसी शक्ल सूरत वाली</ref> से लड़ाती हैं रोटियाँ । | ||
सीने ऊपर भी हाथ चलाती हैं रोटियाँ ।। | सीने ऊपर भी हाथ चलाती हैं रोटियाँ ।। | ||
पंक्ति 127: | पंक्ति 127: | ||
दुनिया में अब बदी न कहीं और निकोई<ref>अच्छाई </ref> है । | दुनिया में अब बदी न कहीं और निकोई<ref>अच्छाई </ref> है । | ||
ना दुश्मनी ना दोस्ती ना तुन्दखोई<ref> | ना दुश्मनी ना दोस्ती ना तुन्दखोई<ref>बदमिज़ाज़ी</ref> है ।। | ||
कोई किसी का, और किसी का न कोई है । | कोई किसी का, और किसी का न कोई है । | ||
सब कोई है उसी का कि जिस हाथ डोई है ।। | सब कोई है उसी का कि जिस हाथ डोई है ।। |
12:48, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
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जब आदमी के पेट में आती हैं रोटियाँ । |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ परियों जैसी शक्ल सूरत वाली
- ↑ निपुण
- ↑ सूर्य
- ↑ चाँद
- ↑ निरीक्षण
- ↑ प्रकट
- ↑ मन की गुप्त जानकारी देना
- ↑ क़ब्र की गुप्त जानकारी देना
- ↑ गुप्तज्ञान
- ↑ मिठाई
- ↑ बाग़
- ↑ चौदह लोक, इस्लामी दर्शन के अनुसार लोक चौदह हैं।
- ↑ डाकिया या पत्रवाहक
- ↑ हरगिज़
- ↑ कुलीन
- ↑ शरीफ़ का बहुवचन
- ↑ अच्छाई
- ↑ बदमिज़ाज़ी
- ↑ मज़दूर
- ↑ गुंधे हुए आटे की लोई