"अहसास का घर -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर
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मैंने मांगी दुआएँ, दुआएँ मिलीं, | मैंने मांगी दुआएँ, दुआएँ मिलीं, | ||
उन दुआओं का | उन दुआओं का मुझ पे असर चाहिए। | ||
जिसमें रहकर सुकूं से गुजारा करूँ, | जिसमें रहकर सुकूं से गुजारा करूँ, | ||
मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए। | मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए। | ||
ज़िंदगी चाहिए मुझको मान भरी, | |||
चाहे कितनी भी हो | चाहे कितनी भी हो मुख़्तासर, चाहिए। | ||
लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी, | लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी, | ||
शानोशौकत का | शानोशौकत का समाँ मगर चाहिए। | ||
जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े, | जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े, |
17:09, 30 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
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हर सुबह को कोई दोपहर चाहिए, |
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