"मार्गशीर्ष अमावस्या": अवतरणों में अंतर
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'''मार्गशीर्ष अमावस्या''' को एक अन्य नाम 'अगहन अमावस्या' से भी जाना जाता है। यह [[अमावस्या]] [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। जिस प्रकार [[कार्तिक मास]] की अमावस्या को [[लक्ष्मी]] का पूजन कर '[[दीपावली]]' बनाई जाती है, उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है। इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के कारण इस दिन [[स्नान]], दान और अन्य धार्मिक कार्य आदि भी सम्पना किये जाते है, जिनका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा महत्त्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन [[पितर|पितरों]] के कार्य विशेष रूप से किये जाते है तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन माना गया है। | '''मार्गशीर्ष अमावस्या''' को एक अन्य नाम 'अगहन अमावस्या' से भी जाना जाता है। यह [[अमावस्या]] [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। जिस प्रकार [[कार्तिक मास]] की अमावस्या को [[लक्ष्मी]] का पूजन कर '[[दीपावली]]' बनाई जाती है, उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है। इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के कारण इस दिन [[स्नान]], दान और अन्य धार्मिक कार्य आदि भी सम्पना किये जाते है, जिनका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा महत्त्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन [[पितर|पितरों]] के कार्य विशेष रूप से किये जाते है तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन माना गया है। | ||
==धार्मिक मान्यताएँ== | ==धार्मिक मान्यताएँ== | ||
मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं [[भक्ति]] से पूर्ण होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह माह कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का बहुत ही विशेष स्थान है। इस माह में भगवान [[श्रीकृष्ण]] भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की [[पूजा]] भी कि जाती है। इस दिन पितर पूजा द्वारा पितरों को शांति मिलती है और पितर दोष का निवारण भी होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है, किंतु पितरों की शान्ति के लिये इस अमावस्या पर व्रत पूजन का विशेष लाभ मिलता है। जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है, उन्हें [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] की अमावस्या को उपवास रख कर पूजन कार्य करना चाहिए। | मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं [[भक्ति]] से पूर्ण होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह माह कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का बहुत ही विशेष स्थान है। इस माह में भगवान [[श्रीकृष्ण]] भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की [[पूजा]] भी कि जाती है। इस दिन पितर पूजा द्वारा पितरों को शांति मिलती है और पितर दोष का निवारण भी होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है, किंतु पितरों की शान्ति के लिये इस अमावस्या पर व्रत पूजन का विशेष लाभ मिलता है। जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है, उन्हें [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] की अमावस्या को उपवास रख कर पूजन कार्य करना चाहिए। | ||
====पितरों को प्रसन्न करने का दिन | ====श्रीकृष्ण का कथन==== | ||
भगवान [[श्रीकृष्ण]] ने '[[गीता]]' में स्वयं कहा है कि- "महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ"। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही [[वर्ष]] का प्रारम्भ किया था। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में [[स्नान]] का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के समय 'नमो नारायणाय' या 'गायत्री मंत्र' का उच्चारण करना फलदायी होता है। मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन मण्डलियाँ, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं। | |||
==पितरों को प्रसन्न करने का दिन== | |||
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को [[देव|देवों]] से पहले [[पितर|पितरों]] को प्रसन्न करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतानहीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है। '[[विष्णुपुराण]]' के अनुसार श्रद्धा भाव से [[अमावस्या]] का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु [[ब्रह्मा]], [[इंद्र]], [[रुद्र]], [[अश्विनीकुमार]], [[सूर्य देव|सूर्य]], [[अग्नि देव|अग्नि]], पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।<ref name="ab">{{cite web |url=http://astrobix.com/hindumarg/296-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8_2013__Margashirsha_Amavasya__Margashirsha_Amavasya_2013.html|title=मार्गशीष अमावस|accessmonthday=06 जून|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को [[देव|देवों]] से पहले [[पितर|पितरों]] को प्रसन्न करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतानहीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है। '[[विष्णुपुराण]]' के अनुसार श्रद्धा भाव से [[अमावस्या]] का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु [[ब्रह्मा]], [[इंद्र]], [[रुद्र]], [[अश्विनीकुमार]], [[सूर्य देव|सूर्य]], [[अग्नि देव|अग्नि]], पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।<ref name="ab">{{cite web |url=http://astrobix.com/hindumarg/296-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8_2013__Margashirsha_Amavasya__Margashirsha_Amavasya_2013.html|title=मार्गशीष अमावस|accessmonthday=06 जून|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
====महत्व==== | ====महत्व==== | ||
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12:13, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण
मार्गशीर्ष अमावस्या
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अन्य नाम | अगहन अमावस्या |
उद्देश्य | 'मार्गशीर्ष अमावस्या' का बहुत ही विशेष स्थान है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह अमावस्या कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी मानी गया है। |
तिथि | मार्गशीर्ष माह की अमावस्या |
धार्मिक मान्यता | इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ माना गया है। |
प्रसिद्धि | मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के कार्य विशेष रूप से किये जाते है तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन माना गया है। |
संबंधित लेख | लक्ष्मी, श्रीकृष्ण, पितर |
विशेष | भगवान श्रीकृष्ण ने 'गीता' में स्वयं कहा है कि- "महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ"। |
अन्य जानकारी | मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है। |
मार्गशीर्ष अमावस्या को एक अन्य नाम 'अगहन अमावस्या' से भी जाना जाता है। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी का पूजन कर 'दीपावली' बनाई जाती है, उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है। इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य आदि भी सम्पना किये जाते है, जिनका हिन्दू धर्म में बड़ा महत्त्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के कार्य विशेष रूप से किये जाते है तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन माना गया है।
धार्मिक मान्यताएँ
मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह माह कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का बहुत ही विशेष स्थान है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की पूजा भी कि जाती है। इस दिन पितर पूजा द्वारा पितरों को शांति मिलती है और पितर दोष का निवारण भी होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है, किंतु पितरों की शान्ति के लिये इस अमावस्या पर व्रत पूजन का विशेष लाभ मिलता है। जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है, उन्हें मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को उपवास रख कर पूजन कार्य करना चाहिए।
श्रीकृष्ण का कथन
भगवान श्रीकृष्ण ने 'गीता' में स्वयं कहा है कि- "महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ"। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के समय 'नमो नारायणाय' या 'गायत्री मंत्र' का उच्चारण करना फलदायी होता है। मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन मण्डलियाँ, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं।
पितरों को प्रसन्न करने का दिन
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतानहीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है। 'विष्णुपुराण' के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।[1]
महत्व
जिस प्रकार कार्तिक, माघ, वैशाख आदि महीने गंगा में स्नान के लिए अति शुभ एवं उत्तम माने गए हैं, उसी प्रकार मार्गशीर्ष माह में भी गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष माह की अमावस का आध्यात्मिक महत्व खूब रहा है। जिस दिन मार्गशिर्ष माह में अमावस तिथि हो, उस दिन स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व रहता है। अमावस्या तिथि के दिन व्रत करते हुए श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है, जो अमोघ फलदायी होती है। इस दिन नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।[1]
अगहन माह
समस्त महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है। ज्योतिष के अनुसार इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, जिस कारण से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इस महीने को 'मगसर', 'अगहन' या 'अग्रहायण' माह भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष के महीने में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को मार्गशीर्ष माह की महत्ता बताई थी तथा उन्होंने कहा था कि- "मार्गशीर्ष के महीने में यमुना नदी में स्नान से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।" अत: इस माह में नदी स्नान का विशेष महत्व माना गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 मार्गशीष अमावस (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 जून, 2013।
अन्य संबंधित लिंक
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