"स्केबीज़": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:causes_scabies.jpg|परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस|thumb|250px]] | |||
'''स्केबीज़''' / खुजली/ कण्डू रोग / माईट-स्केबीज ([[अंग्रेज़ी]]: Scabies) एक चर्म रोग है जिसका संक्रमण परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस/ सारकॉपटिस स्केबीज नामक एक छोटे से कीटाणु/ कीड़े के कारण हो जाता है। यह छूत की बीमारी तो है, लेकिन यह हवा, पानी अथवा सांस द्वारा नहीं फैलती है। यह एक रोगी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए [[परिवार]] में एक व्यक्ति से यह सारे परिवार में ही अकसर फैल जाती है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को छूने मात्र ही से यह रोग नहीं हो जाता बल्कि नज़दीकी एवं काफ़ी लंबे अरसे तक रोग-ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह फैलता है। यह नमी की स्थिति के चलते पनपता है। आम तौर पर बच्चों को इसका सबसे अधिक ख़तरा बना रहता है और बच्चों में यह रोग बहुत आम है। यह सामान्यतया उन लोगों को होती है जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते। <br /> | |||
स्केबीज के बारे में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस का संक्रमण होने पर लगभग एक महीने या उस से भी ज़्यादा समय तक मरीज़ को बिल्कुल खुजली नहीं होती और इस दौरान तो उसे यह भी पता नहीं होता कि उसे कोई चर्म रोग है। लेकिन इस दौरान भी उस के द्वारा यह रोग आगे दूसरे लोगों को तो अवश्य फैल सकता है। | |||
==लक्षण== | |||
स्केबीज़ में पहले पूरे शरीर पर छोटे-छोटे दाने हो सकते हैं जिन में अत्यधिक खुजली होती है, जो रात के समय में अत्यधिक परेशान करती है। लेकिन आम तौर पर ये दाने और खुजली हाथों की उँगलियों के बीच, कोहनी पर, कलाई पर, कमर के चारों तरफ, शरीर के अंदरुनी/ प्रजनन अंगों, जननेंद्रिय पर अधिक होती है। इन स्थानों पर छोटी-छोटी फुंसियाँ, [[लाल रंग]] के दाने (रैशेज), खरोंचों के निशान आदि बन जाते हैं। इन दानों पर खुजली करने से संक्रमण बढ़ता है, पस वाले फोड़े बन जाते हैं जिस की वजह से शरीर के विभिन्न भागों में गांठें (लिम्फ नॉड्स) सूज जाती हैं और बुखार हो जाता है। | |||
साधारणतयः स्केबीज़ चर्म रोग से मृत्यु हो जाना सुनने में नहीं आता, लेकिन अगर छोटे बच्चों को यह त्वचा रोग हो तो उन का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। इन में रोग - प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटि) तो वैसे ही कम होती है - अगर पस पड़ने से, बुखार होने से, संक्रमण रक्त में चला जाए (सैप्टीसीमिया) तो यह जान लेवा सिद्ध हो सकता है। | |||
==उपाय== | |||
[[चित्र:scabies-rash.jpg|स्कबीज के लाल रंग के दाने|thumb|250px]] | |||
इस स्केबीज़ चर्म रोग के इलाज के लिए कुछ ध्यान देने योग्य बातें ये भी हैं, | |||
* इस बीमारी के पूर्ण इलाज के लिए बहुत ही प्रभावशाली लगने वाली दवाईयां उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग आप अपने चिकित्सक से मिलने के पश्चात् कर सकते हैं। | |||
* विश्व विख्यात पुस्तक 'जहां कोई डाक्टर न हो' के लेखक डेविड वर्नर इस पुस्तक में स्केबीज़ पर एक पेस्ट लगाने की सलाह देते हैं। इसे तैयार करने की विधि इस प्रकार है - थोड़े से पानी में नीम के कुछ पत्ते उबाल लें। इस हल्दी के पावडर के साथ मिला कर एक गाढ़ी पेस्ट बना लें। सारे शरीर को अच्छी तरह से साबुन लगा कर धोने के पश्चात् इस पेस्ट का सारे शरीर विशेषकर उंगलियों के बीच के हिस्सों, टांगों के अंदरूनी हिस्सों एवं पैरों की उंगलियों के बीच लेप कर दें। उस के बाद सूर्य की रोशनी में कुछ समय खड़े हो जायें। अगले तीन दिनों तक रोज़ाना यह लेप करें, लेकिन नहाएं नहीं। चौथे दिन मरीज़ नहाने के बाद साफ़ सुथरे, सूखे कपड़े पहने। चमड़ी रोग विशेषज्ञ से मिलने से पहले आप इस घरेलू पेस्ट का उपयोग तो अवश्य कर ही सकते हैं, लेकिन प्रोपर डायग्नोसिस एवं यह पता करने के लिए कि रोग जड़ से खत्म हो गया है या नहीं, इस के लिए चर्म-रोग विशेषज्ञ से मिलना तो ज़रूरी है ही। | |||
* स्केबीज़ से डरिए नहीं, इस का इलाज तो बहुत आसान है ही, रोकथाम भी बड़ी आसान है। साफ़-स्वच्छ जीवन-शैली, रोज़ाना नहा धो-कर कपड़े बदलने से इससे बचा जा सकता है। कपड़े गंदे न पहनें, अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें। कपड़े और बिस्तर की सफाई का ध्यान रखें और [[सूर्य]] की रोशनी में इन्हें अच्छी तरह सुखाएं। छोटे बच्चों को भी यह रोग होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{लेख प्रगति|आधार= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://healthforalldrvyas.blogspot.in/2014/02/blog-post.html खाज-खुजली या स्केबीज़ का कारण] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{रोग}} | |||
[[Category: | [[Category:रोग]][[Category:चिकित्सा विज्ञान]][[Category:विज्ञान कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
13:17, 29 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
स्केबीज़ / खुजली/ कण्डू रोग / माईट-स्केबीज (अंग्रेज़ी: Scabies) एक चर्म रोग है जिसका संक्रमण परजीवी 'स्केबी' / सार्कोप्टिस/ सारकॉपटिस स्केबीज नामक एक छोटे से कीटाणु/ कीड़े के कारण हो जाता है। यह छूत की बीमारी तो है, लेकिन यह हवा, पानी अथवा सांस द्वारा नहीं फैलती है। यह एक रोगी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए परिवार में एक व्यक्ति से यह सारे परिवार में ही अकसर फैल जाती है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को छूने मात्र ही से यह रोग नहीं हो जाता बल्कि नज़दीकी एवं काफ़ी लंबे अरसे तक रोग-ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह फैलता है। यह नमी की स्थिति के चलते पनपता है। आम तौर पर बच्चों को इसका सबसे अधिक ख़तरा बना रहता है और बच्चों में यह रोग बहुत आम है। यह सामान्यतया उन लोगों को होती है जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते।
स्केबीज के बारे में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस का संक्रमण होने पर लगभग एक महीने या उस से भी ज़्यादा समय तक मरीज़ को बिल्कुल खुजली नहीं होती और इस दौरान तो उसे यह भी पता नहीं होता कि उसे कोई चर्म रोग है। लेकिन इस दौरान भी उस के द्वारा यह रोग आगे दूसरे लोगों को तो अवश्य फैल सकता है।
लक्षण
स्केबीज़ में पहले पूरे शरीर पर छोटे-छोटे दाने हो सकते हैं जिन में अत्यधिक खुजली होती है, जो रात के समय में अत्यधिक परेशान करती है। लेकिन आम तौर पर ये दाने और खुजली हाथों की उँगलियों के बीच, कोहनी पर, कलाई पर, कमर के चारों तरफ, शरीर के अंदरुनी/ प्रजनन अंगों, जननेंद्रिय पर अधिक होती है। इन स्थानों पर छोटी-छोटी फुंसियाँ, लाल रंग के दाने (रैशेज), खरोंचों के निशान आदि बन जाते हैं। इन दानों पर खुजली करने से संक्रमण बढ़ता है, पस वाले फोड़े बन जाते हैं जिस की वजह से शरीर के विभिन्न भागों में गांठें (लिम्फ नॉड्स) सूज जाती हैं और बुखार हो जाता है। साधारणतयः स्केबीज़ चर्म रोग से मृत्यु हो जाना सुनने में नहीं आता, लेकिन अगर छोटे बच्चों को यह त्वचा रोग हो तो उन का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। इन में रोग - प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटि) तो वैसे ही कम होती है - अगर पस पड़ने से, बुखार होने से, संक्रमण रक्त में चला जाए (सैप्टीसीमिया) तो यह जान लेवा सिद्ध हो सकता है।
उपाय
इस स्केबीज़ चर्म रोग के इलाज के लिए कुछ ध्यान देने योग्य बातें ये भी हैं,
- इस बीमारी के पूर्ण इलाज के लिए बहुत ही प्रभावशाली लगने वाली दवाईयां उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग आप अपने चिकित्सक से मिलने के पश्चात् कर सकते हैं।
- विश्व विख्यात पुस्तक 'जहां कोई डाक्टर न हो' के लेखक डेविड वर्नर इस पुस्तक में स्केबीज़ पर एक पेस्ट लगाने की सलाह देते हैं। इसे तैयार करने की विधि इस प्रकार है - थोड़े से पानी में नीम के कुछ पत्ते उबाल लें। इस हल्दी के पावडर के साथ मिला कर एक गाढ़ी पेस्ट बना लें। सारे शरीर को अच्छी तरह से साबुन लगा कर धोने के पश्चात् इस पेस्ट का सारे शरीर विशेषकर उंगलियों के बीच के हिस्सों, टांगों के अंदरूनी हिस्सों एवं पैरों की उंगलियों के बीच लेप कर दें। उस के बाद सूर्य की रोशनी में कुछ समय खड़े हो जायें। अगले तीन दिनों तक रोज़ाना यह लेप करें, लेकिन नहाएं नहीं। चौथे दिन मरीज़ नहाने के बाद साफ़ सुथरे, सूखे कपड़े पहने। चमड़ी रोग विशेषज्ञ से मिलने से पहले आप इस घरेलू पेस्ट का उपयोग तो अवश्य कर ही सकते हैं, लेकिन प्रोपर डायग्नोसिस एवं यह पता करने के लिए कि रोग जड़ से खत्म हो गया है या नहीं, इस के लिए चर्म-रोग विशेषज्ञ से मिलना तो ज़रूरी है ही।
- स्केबीज़ से डरिए नहीं, इस का इलाज तो बहुत आसान है ही, रोकथाम भी बड़ी आसान है। साफ़-स्वच्छ जीवन-शैली, रोज़ाना नहा धो-कर कपड़े बदलने से इससे बचा जा सकता है। कपड़े गंदे न पहनें, अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें। कपड़े और बिस्तर की सफाई का ध्यान रखें और सूर्य की रोशनी में इन्हें अच्छी तरह सुखाएं। छोटे बच्चों को भी यह रोग होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख