"जामा मस्जिद अहमदाबाद": अवतरणों में अंतर
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*इसमें विभिन्न ऊँचाइयों पर 15 गुम्बद बने हुए है। | *इसमें विभिन्न ऊँचाइयों पर 15 गुम्बद बने हुए है। | ||
*सन 1818 में इसकी मीनारें भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं। | *सन 1818 में इसकी [[मीनार|मीनारें]] भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं। | ||
*मध्यकालीन मुस्लिम स्थापत्य कला की उत्कृष्ट उदाहरण इन मीनारों में देखा जा सकता है इन मीनारों की एक ख़ास विशेषता यह है कि एक मीनार पर दबाव पड़ने से दूसरी भी अपने आप हिलने लगती है। सम्भवतः इसलिए ये झूलती मीनारें कहलाती है। | *मध्यकालीन मुस्लिम स्थापत्य कला की उत्कृष्ट उदाहरण इन मीनारों में देखा जा सकता है इन मीनारों की एक ख़ास विशेषता यह है कि एक मीनार पर दबाव पड़ने से दूसरी भी अपने आप हिलने लगती है। सम्भवतः इसलिए ये झूलती मीनारें कहलाती है। | ||
13:29, 5 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
जामा मस्जिद अहमदाबाद
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विवरण | पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है। |
राज्य | गुजरात |
ज़िला | अहमदाबाद |
निर्माता | अहमदशाह |
निर्माण काल | सन 1423 |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 23.023822°- पूर्व- 72.587222° |
मार्ग स्थिति | जामा मस्जिद अहमदाबाद रेलवे स्टेशन से 14 किमी की दूरी पर स्थित है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। |
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सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा |
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अहमदाबाद रेलवे स्टेशन |
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मेट्रो, सिटी बस, टैक्सी |
क्या देखें | झूलती मीनारें |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 079 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
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गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | सन 1818 में इसकी मीनारें भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं। |
अद्यतन | 14:07, 24 जनवरी 2012 (IST)
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जामा मस्जिद |
जामा मस्जिद गुजरात के अहमदाबाद में स्थित ख़ूबसूरत मस्जिद है।
- जामा मस्जिद का निर्माण अहमदशाह ने सन् 1423 में करवाया था।
- जामा मस्जिद बेहतरीन कारीगरी का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
- पीले पत्थर से बनी यह मस्जिद पूर्वी देशों की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है तथा हिन्दू व मुस्लिम संस्कृति के अद्भुत संगम को दर्शाती है।
- पुराने शहर की शान यह मस्जिद 80 खम्बों पर खड़ी है।
- इसमें विभिन्न ऊँचाइयों पर 15 गुम्बद बने हुए है।
- सन 1818 में इसकी मीनारें भूचाल में गिर गई थीं। झूलती मीनारें आज दूर से ही देखी जा सकती हैं।
- मध्यकालीन मुस्लिम स्थापत्य कला की उत्कृष्ट उदाहरण इन मीनारों में देखा जा सकता है इन मीनारों की एक ख़ास विशेषता यह है कि एक मीनार पर दबाव पड़ने से दूसरी भी अपने आप हिलने लगती है। सम्भवतः इसलिए ये झूलती मीनारें कहलाती है।
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