"कूच बिहार महल संग्रहालय": अवतरणों में अंतर

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==विशेषताएँ==
==विशेषताएँ==
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* '''दीर्घा संख्‍या 1:‌-''' महल का दरबार कक्ष अब संग्रहालय का मुख्‍य कक्ष है। बीचोंबीच रखा गया राजसी प्रतीक चिह्न, महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण के राज्‍याभिषेक का चित्र, कूच बिहार राज्‍य के शाही परिवार के छायाचित्र इसके मुख्‍य आकर्षण हैं। कूच बिहार जिले में दिनहट्टा के समीप गोसानीमारी के राजपूत स्‍थल से उत्‍खनन द्वारा प्राप्‍त की गई पत्‍थर के सिरों, अर्थ प्रतिमाओं और [[टेराकोटा]] के फलक जैसी वस्‍तुएं प्रदर्शित की गई हैं।   
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10:41, 15 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

कूच बिहार महल संग्रहालय
कूच बिहार महल
कूच बिहार महल
विवरण वर्तमान संग्रहालय भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के कोलकाता मंडल तथा साथ ही राज्‍य सरकार द्वारा संग्रहित पुरावस्‍तुओं और चीजों के साथ 2002 में स्‍थापित किया गया।
राज्य पश्चिम बंगाल
नगर कूच बिहार
स्थापना 2002
प्रसिद्धि दीर्घा संख्‍या 6 में विष्णु, सूर्य, सद्योजाता, उमा-महेश्‍वर, पार्वती, तारा, अवलोकितेश्‍वर इत्‍यादि जैसे ब्राह्मण और बौद्ध देव-देवियों की प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी शहर की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण वास्‍तुकला की इमारत निश्‍चित रूप से 1887 में महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण द्वारा बनवाया गया महल है।
अद्यतन‎

कूच बिहार महल संग्रहालय पश्चिम बंगाल के कूचबिहार ज़िले में स्थित है। कूच बिहार (26° 19' उत्‍तर 89° 26' पूर्व) तिस्ता नदी की एक सहायक नदी तोरशा पर स्‍थित है। यह देश के अन्‍य भागों से रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्‍छी तरह जुड़ा है। शहर की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण वास्‍तुकला की इमारत निश्‍चित रूप से 1887 में महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण द्वारा बनवाया गया महल है। 1982 में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षण और परिरक्षण के लिए कूच बिहार स्‍थित इस महल का अधिग्रहण कर लिया गया।

विशेषताएँ

  • वर्तमान संग्रहालय भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के कोलकाता मंडल तथा साथ ही राज्‍य सरकार द्वारा संग्रहित पुरावस्‍तुओं और चीजों के साथ 2002 में स्‍थापित किया गया। प्रदर्शित वस्‍तुएं सात दीर्घाओं में व्‍यवस्‍थित हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 1:‌- महल का दरबार कक्ष अब संग्रहालय का मुख्‍य कक्ष है। बीचोंबीच रखा गया राजसी प्रतीक चिह्न, महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण के राज्‍याभिषेक का चित्र, कूच बिहार राज्‍य के शाही परिवार के छायाचित्र इसके मुख्‍य आकर्षण हैं। कूच बिहार जिले में दिनहट्टा के समीप गोसानीमारी के राजपूत स्‍थल से उत्‍खनन द्वारा प्राप्‍त की गई पत्‍थर के सिरों, अर्थ प्रतिमाओं और टेराकोटा के फलक जैसी वस्‍तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 2:- बिलियर्ड कक्ष है जिसमें इसके सारे खेल के सामान और शाही व्‍यक्‍तियों के आलोकित छायाचित्र मौजूद हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 3 और 4:- पारम्‍परिक दीर्घाएं हैं जिन्‍हें भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की सहायता से व्‍यवस्‍थित किया गया है। इसमें कूच बिहार क्षेत्र के विभिन्‍न समुदायों की जीवन शैलियों तथा उनके दैनिक प्रयोग की वस्‍तुओं, व्‍यवसाय की वस्‍तुओं, मुखौटों, वाद्य-यत्रों आदि को प्रदर्शित किया गया है।
  • दीर्घा संख्‍या 5 एवं 6: मूर्ति-दीर्घाएं हैं जिसमें 7-8वीं शताब्‍दी -12वीं शताब्‍दी ईसवी की मूर्तिकला की उत्‍कृष्‍ट वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
  • ब्राह्मण मत की विष्णु, ब्रह्मा, सूर्य, महिष-मर्दिनी, सिंहवाहिनी, नवग्रह इत्‍यादि पाषाण प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 6 में विष्णु, सूर्य, सद्योजाता, उमा-महेश्‍वर, पार्वती, तारा, अवलोकितेश्‍वर इत्‍यादि जैसे ब्राह्मण और बौद्ध देव-देवियों की प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा 5 और 6 की वस्‍तुएं अधिकतर उत्‍तरी बंगाल के विभिन्‍न थानों और सीमा-शुल्‍क कार्यालयों से संग्रहित की गई हैं।
  • इसके अतिरिक्‍त, शाही मानक बाट, सिक्‍के बनाने के लिए लोहे के सॉंचे, कूच बिहार राज्‍य और कूच बिहार के राज परिवार के बिल्‍लों जैसी वस्‍तुएं और पुरावशेष दीर्घा संख्‍या 6 में मौजूद है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय-कूच बिहार (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 13 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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